मंगलवार, 26 मई 2015

भूखों की ये बस्तियां औ फूलों के जश्न।

दोहा
भूखों की ये बस्तियां औ फूलों के जश्न। 
ओ ! माली तेरी नियति में क्यों न उठेंगे प्रश्न। । 
हेमराज हंस --9575287490 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें