रविवार, 3 मई 2015

हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में।

मुक्तक 
हे बुद्ध मुस्कराये नही इस पूर्णमासी में। 
हैं व्यथित शायद अहिंसा की उदासी में। । 
इस दौर के चिंतन की असफलता तो देखिये 
नेता हँस रहा है खेतिहर की फांसी में। । 
हेमराज हंस --9575287490 

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