बुधवार, 30 दिसंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय। हेमराज हँस: कोऊ लहुर बनै का तयार नहि आय।  चल चली हेन प्रेम कै बयार नहि आय। ।  उनखे घर मा संगमरमर जड़ा है  मिर्रा के घर मा मयार नहि आय। ।  हेमराज हँस...

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