शनिवार, 19 दिसंबर 2015

bagheli sahitya पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा।

           बघेली मुक्तक 
 पहिले लोकतन्त्र का गुंडन से बचाबा। 
ओही माहुर भरे कुण्डन से बचाबा।। 
गुतका औ चुम्मा का खेल जनता देखा थी 
देस का पाखण्डी पण्डन से बचाबा। । 
हेमराज हँस    

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