गुरुवार, 3 सितंबर 2015

hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।

मुक्तक 

कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय। 
जनता कुरसी कै चाकर नही होय।।
उई बहुरूपियन का जाके बता द्या 
समय के केमार मा सॉकर नही होय। । 
हेमराज हंस 

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