गुरुवार, 17 सितंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।: दोहा  सुक्ख संच औ शांति का होय अब सिरी गनेश।  हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।  हेमराज हंस

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