जब समाज में अराजकता होती है।
तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।
सिंघासन की बुनियादें हिलने लगती हैं
पश्चाताप के बियावान में सत्ता सोती है। ।
हेमराज हंस
तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।
सिंघासन की बुनियादें हिलने लगती हैं
पश्चाताप के बियावान में सत्ता सोती है। ।
हेमराज हंस
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