मंगलवार, 10 नवंबर 2015

आबा हो लछमी आबा साथै गनेश के।

आबा हो लछमी 

आबा हो लछमी आबा साथै गनेश के। 
स्वागत म देस ठाढ़ है दियना लेस के। । 
मुड़हर से ओसारी तक बड़की सजाये घर का। 
स्वस्तिक औ रंगोली से गोदना गोदये फरका। । 
                        डेहरी सुदिन निकारे  तोहरे गृह प्रवेश के। 
                       अाबा हो -लछमी ------------
दुअरा म बँधनबार औ शुभ लाभ भीत म। 
गोबर से महकै माटी  जस लोक गीत म। । 
                       अगमानू म अजोर थिरकेँ भेष भेष  के। 
                       अाबा हो लछमी ------------
जब से 'भृगु जी 'मारिन श्री हरि का लातें।  
तब से दलिद्रता कै अंधियारी कारी रातें। । 
              भारत कै सगली माया लई गें विदेश के। 
              अाबा हो लछमी आबा ----------
गाँवव म अहिरा बाबा का भारी हूंन ही। 
होती हैं गऊ कै हत्या सब सार सून ही। । 
         मुरइला का छाहुर रोय गा बिन गाय भैस के। 
         अाबा हो लछ्मी अाबा साथै गनेस के। । 
हेमराज हंस  मैहर 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें