सोमवार, 14 सितंबर 2015

लागै सुआसिन नार य हिन्दी।

हिन्दी 

वीर कै गाँथा लगी जो रचैं औ 'जगनिक 'के आल्हा का गायगै हिन्दी। 
कब्बौ बनी 'भूखन 'कै बानी त वीरन का पानी चढ़ाय गै हिन्दी। ।
 हाथे परी 'सतसय्या 'के ता वा 'सागर मा गागर 'भराय गै हिन्दी। 
बुढ़की लगाइस 'सूर 'के सागर ता ममता मया  मा नहाय गै हिन्दी। । 

'रसखान 'के क्वामर क्वामर छन्द औ मीरा के पद काही ढार गै हिन्दी। 
भक्ति के रंग मा लागी रंगै तब भाषा लोलार पिआर भै हिन्दी। । 
बीजक साखी कबीर के व्यंग्य पाखण्डिन का फटकार गै हिन्दी।
 औ मासियानी मा तुलसी के आई ता 'मानस 'अगम दहार भै हिन्दी। । 

हिंठै लगी जब 'पंत 'के गाँव ता केत्ती लगै सुकुमार य हिन्दी। 
हरिचंद ,महावीर ,हजारी ,के त्याग से पुष्ट बनी दिढ़वार य हिन्दी। ।
निराला ,नागार्जुन ,के लेखनी मा भै पीरा कै भ्याटकमार य हिन्दी। 
रात जगी जब ''मुंशी ''के साथ ता हरिया का भै भिनसार य हिन्दी। ।

भारत माता के कण्ठ कै कण्ठी औ देस कै भाषा लोलार  हिन्दी। 
लोक कै   बोली   भाषा सकेल के लागै विंध्य पहार य हिन्दी। । 
छंद ,निबंध ,कहानी,औ कविता से लागै सुआसिन नार य हिन्दी। 
अपने नबऊ रस औ गण शक्ति से कीन्हिस सोरहव सिगार य हिन्दी। । 

हेमराज हंस

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