बुधवार, 25 दिसंबर 2019

वाणी वंदना


श्री वाणी वंदना  1


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हे मातु शारदे संबल दे
तै निरबल छिनीमनंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
दिन दिन दूना होय देस मां
लोकतंत्र मजबूत।
घर घर विदुषी बिटिया हों औ,
लड़िका होंय सपूत॥
विद्वानन कै सभा सजै औ
पतन होय हेन नंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
‘बसुधैव कुटुंम्‍बं' केर भावना
बसी रहै सब के मन मां।
औ परबस्‍ती कै लउलितिया,
रहै कामना जन जन मां ॥
देस प्रेम कै जोत जलै,
कहूं मिलै ठउर न दंगा॥
मोरे देस.........................
खेलै पढै बढैं बिद्यार्थी,
रोजी मिलै जबानन का।
रोटी औ सम्‍मान मिलै,
हेन घर घर बूढ़ सयानन का॥
रामेश्‍वरं मां चढत रहै जल,
गंगोतरी के गंगा का।
मोरे देस कै ......................
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मैहर धाम  2


मइहर है जहां विद्या कै देवी,
विराजी माँ शारद शक्‍ति भवानी।
पहिलय पूजा करय नित आल्‍हा,
औ देवी के वर से बना वरदानी॥
मइहर है जहा लिलजी के तट ,
मठ मह शिव हें औधड.दानी॥
ओइला मां मन केर कोइला हो उज्‍जर,
लंठव ज्ञानी बनै विज्ञानी।
मइहर है जहा संगम है ,
सुर सरगम कै झंकार सुहानी॥
अइसा पुनीत य मइहर धाम कै,
शत शत वंदन चंदन पानी॥
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वाणी वंदना  
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वर दे वीणापाणि हंसवाहिनी वागीश माँ ,मेरे देश को तु सुख शान्ति समृद्धि दे। 
रह द्वेष के कलेष लेश मात्र भी न रहें ,जन जन में जान्हवी सी शुचि धार बुद्धि दे। । 
सब में हो सर्व धर्म सदभाव  भावना  ,सत्य  शौर्य  धैर्य  बल विवेक की तू वृद्धि दे। 
दे दे  शारदे  अम्ब  अविलम्ब  अवलंब, भारत  में भर्ती माँ ऋत ऋद्धि सिद्धि दे। ।।  

चली करैं मतदान

        चली करैं मतदान
चला भैय्या मतदान केन्द्र हो  चली करैं मतदान।
अपने  बोट  दिहे  ते होई  लोकतंत्र   बलमान। ।

हम अब्बल लोकतंत्र दुनिया के मानि रहा संसार।
जनता का जनता के खातिर चला चुनी सरकार। ।
बोटहाई के दिना करी  मतदान केन्द्र प्रस्थान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र --------------------------

कोऊ बांकी बची न अपना डारी सब जन बोट।
अपने मन के प्रत्याशी का खुदै चढ़ाई रोट। ।
बिन दबाव लालच के भाई मन का चुनी निशान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र -------------------------------

चला करी संकल्प बंधी सब एकय  साहुत सूत।
सबसे जादा बोट डराउब अपने अपने  बूथ। ।
गांव गांव औ नगर नगर का बोलय हिन्दुस्तान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र------------------------------------

हे मतदाता भाई बहिनी दाऊ काकी कक्का।
अरथुत के मतदान करी अपना अरगासी सबका।
अपना के मतदान मा धड़कै लोकतंत्र कै जान।
चला भैय्या मतदान केन्द्र हो  चली करैं मतदान। ।

हेमराज  हंस 
पिता जी  श्री परमेश्वरदीन  उरमलिया 
माता जी  स्वर्गीय तारा देवी 
ग्राम पोस्ट --गोबरी 

  मइहर  म प्र 
9575287490 
भारत माता काही गरब है अपने  अटलबिहारी का। 
जुग गाई उनखर गुन गाँथा थाती धरे चिन्हारी का। । 
जब जब नेतन कै बात चली ता भारत माता यहै कही 
देखा अपने अंतस का पुन देखा अटलबिहारी का। । 
 
हेमराज हंस भेड़ा मइहर 
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**हे जुग नायक अटलबिहारी **
हे जुग नायक अटलबिहारी। 
अपना का य देस आभारी। । 

हिरदय राज किहिन जन जन के। 
रहे कबीर अस सबके मन के। । 
को है यतर बड़ा बेउहारी। 
हे जुग --------------------

भारत के अनमोल रतन उइ। 
अपने आप मा एक बतन उइ। । 
सबके मंगल अउ उपकारी। 
हे जुग ----------------------

लोकतंत्र के अटल हिमालय। 
साहुत के इस्लोक शिवालय। । 
भारत रतन हे अटलबिहारी। 
हे जुग ---------------------

लोकतंत्र के उइ चरित्र अस। 
सबके हितुआ रहे मिंत्र अस। । 
तानाशाही का बनबारी। 
हे जुग नायक अटलबिहारी। । 

हेमराज हँस  भेड़ा 









शनिवार, 21 दिसंबर 2019

पंडित दीन दयाल

भारत माही जब मची सामाजिक दहचाल। 
मानववाद लय आय गें पंडित दीन दयाल।। 

अपने  तीरथ बरथ मा राष्ट्र वाद का प्रेम। 
एकात्म के ग्रंथ मा सबका  हित औ क्षेम।। 

बसै  देस कै  आतिमा टोला गाँव देहात। 
पंडित जी के  सूत्र  हें  जगन्नाथ अस भात।। 

राष्ट्र वाद के डाकिया एकात्म के मूल। 
पंडित जी शतशत नमन करै बघेली फूल।। 

विवेकानंद

पूज बिबेकानंद मा है भारत का गर्व। 
उनखे बसकट मा रमा युबा दिबस का पर्व।। 

रचिन बिबेकानंद जी एक नबा इतिहास। 
भारत केर महानता का बगरा परकास।। 

जुरे शिकागो मा रहें   दुनियां के बिद्वान। 
एक सुर मा बोलैं लगें  जय जय हिन्दुस्तान।। 

चाह शंकराचार्य हों चाह बिबेकानंद। 
भारत  के जस गान का रचिन रिचा औ छंद।। 
           ⌚हेमराज हंस भेड़ा ⌚


आपन बोली

महतारी अस लगै मयारू घूंटी साथ पिआई।
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 

भांसा केर जबर है रकबा बहुत बड़ा संसार। 
पै अपने बोली बानी कै अंतस तक ही मार।। 
काने माही झनक परै जब बोली कै कबिताई। 
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 

समझैं आपन बोली बानी बोकरी भंइसी गइया।
नीक लगै जब लोक गीत अस गाबै कहूं गबइया।।
अपने बोली मा कोल दहकी लोरी टिप्पा राई। 
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 

महकै अपने बोली माही गांव गली कै माटी। 
आपन बोली महतारी के हांथ कै परसी टाठी।। 
अपने बोली मा गोहरामै घर मा बब्बा दाई।
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 


गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

बिटिआ कै बसकट (जन्मदिन)

बड़े सकारे बिटिआ बोली बड़े उराव भरे। 
पापाऽ  आजु मोर बसकट ही हरबी अया घरे।। 

हम न कहब कि तुम लइ आन्या हमी मिठाई केक। 
घर मा सब जन बड़े प्रेम से खाब अंगाकर सेक।। 
झोरा माही दस रुपया कै लइया लया धरे। 

बचै केराया से जो पइसा लीन्हया एक कलम। ज्यमा  उरेहब अच्छर अच्छर सीखब लिखय करम।। 
पढ़ब  लिखब ता देखि लिहा पुन दिन अपनिव बहुरे।। 

मोहि न चाही नये नये ओन्हा येतु करया बंधेज। 
रक्छा होय मोरे बचपन कै औ पढि सकउ  कलेज।। 
सुसुकि सुसुकि के रोबैं लागी दोऊ तरइना  भरे।
पापा   आज मोर बसकट ही हरबी अया घरे।। 

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस :                          गरीब केर ठंडी गरीब केर ठं...

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस :                          गरीब केर ठंडी गरीब केर ठं...:                          गरीब केर ठंडी  गरीब केर ठंडी          गरीब केर ठंडी।  बांध्य का देहे गतिया पहिरै   का फटही बंडी।  ।  सथरी...

गरीब केर ठंडी

                         गरीब केर ठंडी

 गरीब केर ठंडी          गरीब केर ठंडी। 

सथरी बिछी ता लागय डनलप का गुलगुल गद्दा। 
पउढ़य घरे भरे  के भाई बहिन अउ दद्दा। । 
आबा थी निकही निदिआ बे गोली बे बरंडी। 

दिन उअतै घाम तापै चउरा मा मारे पलथी। 
बिटिआ लाग रांधै नए चाउर कै गोलहती। । 
चुल्हबा  मा आंच देथी धंधोल बिनिआ कंडी। 

दुई होय कि रुई होय कहि के मुस्की मारै भउजी। 
कापा थें तन के हाड़ा जाड़ा किहे मन मउजी। । 
तउअव गरीबी खुश ही जस जुद्ध  मा शिखंडी। 

करजा का खाब है अउ पयार  केर तापब। 
ओन्हा  नहीं अलबुद्दा जाड़े मा थरथर काँपब। । 
गरीबी कै नामूजी जाड़ा करइ  घमण्डी। । 
                     
                   HEMRAJ HANS BHEDA





बुधवार, 18 दिसंबर 2019

टोरिया कहा है

बारजा बचा है ओरिआ कहाँ ही। 
पिल्वांदा के दूध कै खोरिआ कहाँ ही।। 

राशन कार्ड हलाबत तिजिया चली गै
कोटा बाली चीनी कै बोरिआ कहाँ ही।। 

आजादी के अश्व मेध कै भभूत बची ही
गांधी के लोकतंत्र कै अजोरिआ  कहाँ ही।। 

वा प्रदूषण कै पनही पहिरे मुड़हर मा चला गा
घर गाँव  के अदब कै  ओसरिआ कहाँ ही।। 

नोकरी लगबामैं का कहि के लइ  गया तै
वा गरीब कै बड़मंसी टोरिआ कहाँ ही।। 

सार अबाही खूंटा ग्यरमा औ अम्मा का पहिलय सुर 
कामधेनु कै पामर वा कलोरिआ कहाँ ही।। 

घर के सुख संच कै जे जपत रहें माला 
वा पिता जी कै लाल लाल झोरिआ कहाँ ही।।                
 ✍️ हेमराज हंस भेड़ा मैहर 

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

बुधवार, 27 नवंबर 2019

मतदान

जनता के हाथे हबय लोकतंत्र का मान। 
चला चली सब जन करी सौ प्रतिशत मतदान।। 
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रहा गरीबन से सदा बोटन का बेउहार। 
दूबर का एकादशी मोटन का तेउहार।। 
🌻🌻🌻🌻🌻🌻
अबै गरीबन के लगी टप टप अंसुअन धार। 
अइसा मा कइसा लिखी पायल कै झंकार ।।
🌻🌻🌻🌻🤗
कत्ती घिनही लग रही राजनीति कै चाल।
कबौ उखाड़ै बार वा कबौं उधेरै खाल।। 

मंगलवार, 26 नवंबर 2019

फलनिया

जबसे तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा। 
तब से धकपक करय करेजबा औ मन नहि आय चेत मा।। 

महकैं लाग मेड़ पगडंडी गुलमेंहदी औ रेउजा।
चंचल मन का धौं काहे य हिदय लेय उपरउझा।।
रामौ सत्त कही हम तोहसे खोट न कउनौ नेत मा। 

पहिल दउगरा के भुंइ घांई गमकै उनखर देह। 
उपरंगी उंई पीसैं दांत पै भितर गुल्ल है नेह।। 
मारे लाज के लाल गाल जस पहिलय चुम्मा लेत मा। 

वा गसान कै मेड़ फलनिया लागै बड़ी उरायल।
बइर  खात मा जहा गिरी तै छमछम बाजत पायल।। 
सामर मुंहिआ अइसा लागै जइसा धान गलेथ मा। 

बोली लगय तोहार फलनिया लोकगीत अस मीठ। 
सहजभोर छोहगर य रूप मा लग न जाय कहुं डींठ।।
बड़ी पिआर लगा तू हमका हमरै ओरहन देत मा। 
जब से तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा।। 

अबहूं नही व बिसरै घटबा दउरी धोमन चाउर।।
अउ  मूडे़ का जूड़ा लागै जइसा खेत मा छाहुर।।।
घटै बढ़ै धड़कन का रकबा तापमान जस रेत मा। 
जब से तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा।। 

लगै गाल का तिला फलनिया जइसा होय डिठउरा।
पै चम्पा के फूल के नियरे हिरकै कबौं न भउरा।।
काहू के नैनन का दोहपन लग न जाय कहुं सेंत मा। 
जब से तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा।। 

🌻🌻🌻🌻@हेमराज हंस भेड़ा मैहर 


शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

धरा रह गया ज्ञान

लेखन जब करने लगा कागद लहूलुहान।

ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान।।

बाल दिबस

पन्नी बीनत बीत गै ज्याखर उमिर किसोर। 
ओखे दुअरै कब अइ बाल दिबस कै भोर।। 
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जे कबहूं जानिस नही पोथी अउर सलेंट। 
बूटन मा पालिस किहिस होटल घसिस पलेट।। 
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हिंआ ब्यबस्था खाय गै पंजीरी औ खीर। 
गभुआरन के भाग मा बदी कुपोसित पीर।। 
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दरबारी जेही कहै बोटहाई मा नात। 
पै कबहूं देखिन नही वाखर दुधिया दांत।। 
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हबैकुपोसित देस मा जेखर ल्यादा घींच। 
ओ! बालदिबस फुरसत मिलै ता उनहूं का सींच।। 

सोमवार, 11 नवंबर 2019

अयोध्या

राजनीति जेहि रही घंघोई। रामा हो रामा 
ओही थीर कइ  दिहिन गंगोई।। रामा हो रामा 
 सांपौ मरिगा टूट न लाठी। 
पै कुछ जन कूदैं जस आंटी।। 
छूटि गै सांड़न कै चलौना। रामा हो रामा 

शनिवार, 2 नवंबर 2019

ओही दिहा न वोट

बिना धनीधोरी का है हेन निरधन अउर गरीब। चाहे ज्याखर राज होय पै बदला नही नसीब।। झउआ  भर चलि रहीं योजना पै ओखे कउन लेखा मा। 
गरीबन का है नाव नही पबित्र गरीबी रेखा मा।। 
चह जउन  जात हो गरीब पै सब कै समिस्या एक ही। 
सबके आँसू अंतस पीरा केर तपिस्या एक ही।। 
राजनीत सब दिन चाटिस ही पूंजीपति के तरबा। 
औ गरीब के घर का लाइस अपनेन 🏡 का क्वरबा।। 
राजनीत का लखा कपट छल की ही केत्ती सूध। 
हमरे घर मा दारू बांट्य अपने घर मा दूध।। 
पी पी दूध भै राजनीत  य द्याखा केत्ती मोट।  
हंस कहैं जे दारू बांट्य ओही दिहा न बोट।। 
             हेमराज हंस भेड़ा 

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

भाई दुइज

बन गै दुइज लोलार

बम चका चक

गाँव गाँव मा चलि रहा बम चका चक बम। 
हम ता दादू छान लिहन अब तुहूं लगाबा दम।। 
गाँव गाँव मदिरा बिकै दबा शहर के पार। 
कउने सब्दन मा करी अपना का आभार।। 

रंगोली सा रंग

जीवन में भरता रहे रंगोली सा रंग। 
उगे भाग्य का भास्कर लेकर नई उमंग।। 

घाव नही देखिस

जे पुरखन के पींठ का घाव नहीं देखिस।
वा लगथै पबाईदारन का गाँव नहीं देखिस।। 
चुनु का संच पाइस ता अक्कास मा उड़ा थै 
वा धरती से आपन उखड़त पांव नही देखिस।। 

सरदार पटेल

आजादी के दिआ मा भरिन जे बाती तेल।   
 वा भारत  रतन सपूत हैं श्री सरदार पटेल।। 

मंगलवार, 29 अक्तूबर 2019

नेता जी के नात का

चह जेही धुर देंय उंई या की कहैं कुलाँच। 
नेता जी के नाव से अइ न कउनव आंच ।। 

सुनिस घोसना कांपि गा थरथर बपुरा पेंट। 
खीसा का बीमा करी जेबकतरा एजेंट।। 

शनिवार, 26 अक्तूबर 2019

दियना कहिस अगस्त से

श्री राघव जू आ रहें बीते चउदह साल। 
या उराव मा जलि रहे घर घर दीप मशाल।। 

दीपदान कै लालसा तीरथ का अनुराग। 
चित्रकूट कोउ जा रहा कोऊ चला प्रयाग।। 

धरमराज कै फड़ सजी चलै जुंआ का खेल। 
गाँव गाँव मा पहुंच गय शकुनी बाली बेल।। 
रावण के भय से लुका जब से बइठ कुबेर। 
तब से धनी गरीब कै अलग अलग ही खेर।। 

उल्लू का खीसा भरा छूंछ हंस कै जेब। 
या भोपाल कै चाल की दिल्ली का फउरेब।।

जब सागर का मथा गा कढ़ें रतन दस चार। 
ओहिन मा धनवंतरी मिलें हमी उपहार।। 

पिये हलाहल शिव फिरैं विश्व मा हाहाकार। 
अमरित से उनखर किहिन धनवंतरी उपचार।

दुनिया भर कै औषधी रोग बिथा संताप। 
धनवंतरी का सब कहैं आयुर्वेद का बाप।। 

जिधिना से भ्रृगु जी हनिन श्रीहरिजू का लात।
लछिमी जू रिसिआय के चली गईं गुजरात।। 


दियना कहिस अगस्त से दादा राम जोहार। 
तुम पी गया समुद्र का हम पी ल्याब अंधिआर

हे लछिमी जू आइये संगे बुद्धि गणेश। 
मोरे भारत देस मा दालिद बचै न शेष।। 

Bagheli kavita By Hans

लछिमी का बोलायन ता जलंधर आय गा।
सुरपंखा कै नाक लये दसकंधर आय  गा।। 
जबसे हनीटेप माही नारद जी नपे
ता मोहनी के मोह माही बंदर आय गा।। 

गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

सोमवार, 21 अक्तूबर 2019

370

कोउ कहा थै पाप अस मरा है। 
कोउ कहा थै सांप अस मरा है।।
जिधना से तीन सै सत्तर हटी ही 
उधिना से उनखर बाप अस मरा है।। 

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2019

राजनीति का रकरा आय

पुलिस जाना थी जेबकतरा आय।
हमरे समाज का खतरा आय।। 
तऊ सलामी ठोंक रही की 
राजनीत का रकरा आय।। 

बुधवार, 16 अक्तूबर 2019