आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।।
भांसा केर जबर है रकबा बहुत बड़ा संसार।
पै अपने बोली बानी कै अंतस तक ही मार।।
काने माही झनक परै जब बोली कै कबिताई।
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।।
समझैं आपन बोली बानी बोकरी भंइसी गइया।
नीक लगै जब लोक गीत अस गाबै कहूं गबइया।।
अपने बोली मा कोल दहकी लोरी टिप्पा राई।
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।।
महकै अपने बोली माही गांव गली कै माटी।
आपन बोली महतारी के हांथ कै परसी टाठी।।
अपने बोली मा गोहरामै घर मा बब्बा दाई।
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें