मानववाद लय आय गें पंडित दीन दयाल।।
अपने तीरथ बरथ मा राष्ट्र वाद का प्रेम।
एकात्म के ग्रंथ मा सबका हित औ क्षेम।।
बसै देस कै आतिमा टोला गाँव देहात।
पंडित जी के सूत्र हें जगन्नाथ अस भात।।
राष्ट्र वाद के डाकिया एकात्म के मूल।
पंडित जी शतशत नमन करै बघेली फूल।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें