गरीब केर ठंडी
गरीब केर ठंडी गरीब केर ठंडी।
सथरी बिछी ता लागय डनलप का गुलगुल गद्दा।
पउढ़य घरे भरे के भाई बहिन अउ दद्दा। ।
आबा थी निकही निदिआ बे गोली बे बरंडी।
दिन उअतै घाम तापै चउरा मा मारे पलथी।
बिटिआ लाग रांधै नए चाउर कै गोलहती। ।
चुल्हबा मा आंच देथी धंधोल बिनिआ कंडी।
दुई होय कि रुई होय कहि के मुस्की मारै भउजी।
कापा थें तन के हाड़ा जाड़ा किहे मन मउजी। ।
तउअव गरीबी खुश ही जस जुद्ध मा शिखंडी।
करजा का खाब है अउ पयार केर तापब।
ओन्हा नहीं अलबुद्दा जाड़े मा थरथर काँपब। ।
गरीबी कै नामूजी जाड़ा करइ घमण्डी। ।
HEMRAJ HANS BHEDA
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