गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

गरीब केर ठंडी

                         गरीब केर ठंडी

 गरीब केर ठंडी          गरीब केर ठंडी। 

सथरी बिछी ता लागय डनलप का गुलगुल गद्दा। 
पउढ़य घरे भरे  के भाई बहिन अउ दद्दा। । 
आबा थी निकही निदिआ बे गोली बे बरंडी। 

दिन उअतै घाम तापै चउरा मा मारे पलथी। 
बिटिआ लाग रांधै नए चाउर कै गोलहती। । 
चुल्हबा  मा आंच देथी धंधोल बिनिआ कंडी। 

दुई होय कि रुई होय कहि के मुस्की मारै भउजी। 
कापा थें तन के हाड़ा जाड़ा किहे मन मउजी। । 
तउअव गरीबी खुश ही जस जुद्ध  मा शिखंडी। 

करजा का खाब है अउ पयार  केर तापब। 
ओन्हा  नहीं अलबुद्दा जाड़े मा थरथर काँपब। । 
गरीबी कै नामूजी जाड़ा करइ  घमण्डी। । 
                     
                   HEMRAJ HANS BHEDA





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