गरीबन का है नाव नही पबित्र गरीबी रेखा मा।।
चह जउन जात हो गरीब पै सब कै समिस्या एक ही।
सबके आँसू अंतस पीरा केर तपिस्या एक ही।।
राजनीत सब दिन चाटिस ही पूंजीपति के तरबा।
औ गरीब के घर का लाइस अपनेन 🏡 का क्वरबा।।
राजनीत का लखा कपट छल की ही केत्ती सूध।
हमरे घर मा दारू बांट्य अपने घर मा दूध।।
पी पी दूध भै राजनीत य द्याखा केत्ती मोट।
हंस कहैं जे दारू बांट्य ओही दिहा न बोट।।
हेमराज हंस भेड़ा
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