ओखे दुअरै कब अइ बाल दिबस कै भोर।।
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जे कबहूं जानिस नही पोथी अउर सलेंट।
बूटन मा पालिस किहिस होटल घसिस पलेट।।
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हिंआ ब्यबस्था खाय गै पंजीरी औ खीर।
गभुआरन के भाग मा बदी कुपोसित पीर।।
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दरबारी जेही कहै बोटहाई मा नात।
पै कबहूं देखिन नही वाखर दुधिया दांत।।
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हबैकुपोसित देस मा जेखर ल्यादा घींच।
ओ! बालदिबस फुरसत मिलै ता उनहूं का सींच।।
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