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रविवार, 9 अक्तूबर 2022
अपना का सेतै लगै अब माख
रात रात भर किहन तरोगा
बड़े सकारे मरे मिले उंइ एक चुल्लू भर पानी मां॥
नंच नंच आँखिन से झांकै बड्डे जबर सपन,
बोली बड़ी पिआर लगाथी तोतली बानी मां॥
‘सरमन' सब दिन मारे गे हें सत्ता के मनमानी मां॥
शक के नजर से देखे जाथें जब साधू संन्नासी तक,
कइसा हमहीं रिस न चढी हो लुच्चन के मेहमानी मां॥
भला जात मा बंट के कउनव महाशक्ति का देस बनी,
जेखर जनता बाम्हन ठाकुर दलित औ बानी मां॥
सगला देस सुनिस ‘अन्ना' का जब बोलिन रजधानी मां॥
खूब पैलगी होथी जेखर औ समाज मां मान है हंस
उनही सांझ के हम देखे हन गिरत भंजत रसदानी मां॥
शनिवार, 8 अक्तूबर 2022
लुच्चा अस लागा थें
सगली दुनिया हिबै अचंभित
सगली दुनिया हिबै अचंभित
शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022
उनखेे कइ शरद् अस पूनू
हमरे कइ्र्र अमउसा है।
रदगदग द्यांह फलाने कै,
हमरे तन मां खउसा है॥
उंइ गमला कै हरिअरी देख,
खेती कै गणित लगउथे,
काकू कहाथे चुप रहु दादू भउसा है॥
जब से य मन मोहित होइगा
तोहरे निरछल रूप मां।
एकव अंतर नही जनातै,
चलनी मां औ सूप मां॥
रात रात भर लिहन कराउंटा,
नीद न आई आंॅखिन का।
औ मन बाउर बइकल बागै,
ओ!गोरी तोरे उूब मां॥
सनकिन सनकी बातैं होइ गईं,
लखे न पाइस पलकौ तक।
मन निकार के उंइ धइ दीन्हन,
हमरे दोनिया दूब मां॥
ओंठ पिआसे से न कउनौं,
एक आंखर पनघट बोलिस।
पता नही धौं केतू वाठर,
निकराथें नलकूप मां॥
सातक्षात् तुम पे्रम कै मुरत,
होइ के निठमोहिल न बना।
द्याखा केतू करूना होथी,
ईंटा के ‘स्तूप' मां॥
जब से फुरा जमोखी होइगै,
तन औ मन के ओरहन कै,
तब से फलाने महकै ंलागें,
जइसा मंदिर धूप मां॥
शरद कै रात
चितवाथी चरिउ कइ चरकी चमक चंद,
चपल चोचाल अस चोंख चोंख चांॅदनी।
काहू केर जिव करै पपीहा अस पिउ पिउ,
नेह स्वाति बूंद का लगाबै दोख चांॅदनी॥
सुकवा जो अस्त भा ता उआ है अगस्त जी मां,
प्रेम पंथ पानी काही सोख सोख चांॅदनी॥
चकई के ओरहन राहू केर गिरहन,
रहि रहि जाय मन का मसोस चांॅदनी॥
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पोखरी का पानी जब से थिराय दरपन भा,
तब से जोंधइया रूप राग का सराहा थी।
ठुमुक ठुमुक चलै लहर जो रसे रसे,
देख देख के तलइया भाग का सराहा थी॥
चांॅदनी से रीझ रीझ पत्ता पानी मां पसीझ,
पुरइन पावन अनुराग का सराहा थी।
जे निहारै एक टक सांझ से सकार तक,
जोंधइया चकोर के वा त्याग का सराहाथी॥
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झेंगुर कै तान सुन नाचै लाग जुगनूं ता,
अस लाग जना दीप राग तान सेन का।
भितिया मां चढि के शिकार करै घिनघोरी,
जइसन ‘लदेन' कांही मारा थै अमेरका॥
ओस कै बूंद जस गिरत देखाय नही,
सनकी से बात करैं जइसा पे्रमी प्रेमका॥
तन केर मन से जो ताल मेल टूटिगा है,
तब से चरित्र होइगा विश्वामित्र मेनका॥
शरद कै रात
गुरुवार, 6 अक्तूबर 2022
य कइसा छब्बिस जनबरी।
गाँधी जी औ मायावती
बुधवार, 5 अक्तूबर 2022
राबन का फूफा बताउथें
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बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
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जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...