बुधवार, 28 सितंबर 2022

नारी सूचक गालियां

नारी सूचक गालियां दिन भर देते साठ। 

वे भी सादर कर रहे दुर्गा जी का पाठ।। 

इंदिरा सुषमा  चावला, औ मेधा अस तेज।
हे ईशुर मोरे देस मा, पुन  पुन उनही भेज।। 


या लोपा  मुद्रा  गारगी , मैत्रेयी  का  देस।
जहां नारि कै ताड़ना, अत्याचार कलेस। । 


द्याखा मध्य प्रदेश मा, नारी का सम्मान।
अब महिला के हाथ मा, मदिरा केर दुकान। ।

 
राष्ट्र गान के हिदय मा, है ज्याखर अस्थान।
पुनि के चाही प्रान्त  वा, आपन विंध्य महान। । 

@HEMRAJ HANS 

हमार भेड़ा

पूरुब  मा पुरान ताल फूले हें कमल जहां 

अउर पच्छिम कइती जहां सदा नीरा सागरा। 

दक्खिन  मा राजपथ लगा थै अगस्त अस 
उत्तर मा हरा भरा  बिंध अस डोगरा। । 
 
चउकी चटकउला मा बिराजे अंजनी के लाल 
ताल   गहिरार   नबा    ताल  संतोखरा। 
 
गांव मध्ये चंडी देवी औ बिराजे भोलेबाबा 
अउर श्री गनेश जू  जे सिद्ध करैं अखरा। । 
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चउकी चटकउला मांही लागथाबै मेला जहाँ 
लुदुइआ मा  है सेबाद हुआं  लड्डू पेड़ा का।  

गांव  कै बिबेक मान जनता मा है स्वाभिमान 
अंतर वा जनाथीबै  रूख अउर रेंड़ा  का। । 
 
मेल जोल  के सुभाव केर परिपाटी हिंया
मह्काबै माटी जहां पस्गाइयत मेड़ा  का।
 
लोक रंग का उराव सब मा है एक भाव 
कवि हेमराज सौ प्रनाम करै भेड़ा  का। । 

 कवि - हेमराज हंस 




 

 

मंगलवार, 27 सितंबर 2022

बाप बताउथें।

उइ   भैसासुर  का  आपन   बाप   बताउथें।

दुर्गा मइया कै  पूजा का परल्याप बताउथें। । 

कइसा  मारी के  ही मती हे शारद मैय्या ज्ञान द्या 

अकिल के  ओछाहिल बुद्धी कै नाप बताउथें।।

 

 

 

सोमवार, 26 सितंबर 2022

पाबन मइहर धाम

गाँव नगर पूजन भजन दुर्गा जी का बास। 

कहूं राम लीला शुरू कहूं कृष्ण कै रास। । 

पाबन मइहर धाम है  सिद्ध  शारदा पीठ। 

कोउ बाहन से जा रहा कोउ  आबै हीट। ।  

HEMRAJ HANS

रविवार, 25 सितंबर 2022

मइहर

 जहां बिराजीं सारदा धन्न मइहर कै भूम।                                                                                                                 भक्तन का तांता लगा नाचत गाबत झूम।। 

जहाँ बिराजीं शारदा धन्न  मइहर का भाग। 

बंदूखै तक बन गईं नल तरङ्ग का राग।।   


                                                                                                     

माता जू किरपा किहिन बइठीं आके कंठ।                                                                                                           तब कविता गामैं लगा हेमराज अस लंठ।।


बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : आपन बोली

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : आपन बोली: महतारी अस लगै मयारू घूंटी साथ पिआई। आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।।  भांसा केर जबर है रकबा बहुत बड़ा संसार।  पै अपने बोली बानी कै अंतस तक...

शनिवार, 24 सितंबर 2022

र्याज कै चिंता ही

काहू का ब्याज कै चिंता ही।
काहू का प्याज कै चिंता ही।।
करजा मा बूणे किसान का
।।र्याज कै चिंता ही

हे !प्रिय मित्र अशोक


 विंध्य रतन शत शत नमन हे !प्रिय मित्र अशोक
हे  साहित्य  के  हास  रस अपना दीन्ह्यान सोक। ।

निठमोहिल बिउहार।

अस छरकाहिल मनई भा निठमोहिल  बेउहार।
अब  ता  कारिव  के  परे  हिरकै  नहीं   दुआर।।  

उनखे नजर मा

उनखे नजर मा दुइ देस भक्त असली ।
एक ता अतंकबादी दूसर नक्कसली। ।
दूनव के मरे उंइ कपार धरे रोबा थें
जइसा उजरिगा होय खेत दुइ फसली।।

 

महतारी के हाथ कै जइसा परसी थाल

मघा नखत बदरी करय धरती का खुशहाल।
महतारी  के  हाथ  कै  जइसा  परसी  थाल।।  


ऊपर दउअय रुठि गा औ नीचे दरबार।
धरती पुत्र किसान कै को अब सुनै गोहर। । 

देस ओखे बाप का है।।

 

कुरथा जेखे नाप का है।
देस ओखे बाप का है।।
अपना के हांथे मा बोट
बांकी लाठी छाप का है।।

रोटी केर जुगाड़

 धन्ना  सेठन  के  निता  गर्मी बरखा जाड़।
हमही एक मउसम हबै रोटी केर जुगाड़। । 


कउड़ा के नियरे संघर अपना सेकी देह।
हम धांधर के आग का लिखी उरेह उरेह।। 

फसलन मा पाला लगा परी ठंड कै मार।
भितरघात मउसम करै खेत कहै आभार।।

शुक्रवार, 23 सितंबर 2022

मस्त माल है।

 

देस मा चारिव कइती दहचाल है।
फुर फुर बताबा का अपना का मलाल है।।
दिल्ली अपने मन कै बात बाँचा थी
कबहूँ नहीं पूछिस कि देसका का हाल है। ।
कूकुर के चाबे मा भोंका थी मीडिआ
गऊशाला नहीं झांकै की भूसा पुआल है। ।
सरकारी दफ्तर मा घूंस बिना काम नहीं
हर कुरसी पाले एकठे दलाल है। ।
हमरे संस्कार का येतू पतन भा
वा बहिनी बिटियन का कहाथै मस्त माल है। ।

अपना विन्ध प्रदेश।

जब तक मिल जाता नहीं अपना विन्ध प्रदेश।
गंगा अजीज चिंतालि को श्रद्धांजलि है शेष।।
 

जब से आपन गाँव।

शहर मा जाके रहय लाग जब से आपन गाँव।
भरी दुपहरी आँधर होइगै लागड़ होइ गै छाँव। ।
गाँवन कै इतिहास बन गईं अब पनघट कै गगरी।
थरी कोनइता मूसर ज्यतबा औ कांडी कै बगरी। ।
गड़ा बरोठे किलबा सोचइ पारी आबै माव ।
हसिया सोचै अब कब काटब हम चारा का ज्यांटा।
सोधई दोहनिया मा नहि बाजै अब ता दूध का स्यांटा। ।
काकू डेरी माही पूंछै दूध दही का भाव।
दुर्घट भै बन बेर बिही औ जामुन पना अमावट।
''राजनीत औ अपराधी ''अस सगली हाट मिलावट। ।
हत्तियार के बेईमानी मा डगमग जीवन नाँव।
जब से पक्छिमहाई बइहर गाँव मा दीन्हिस खउहर।
उन्हा से ता बाप पूत तक करै फलाने जउहर। ।
नात परोसी हितुअन तक मां एकव नही लगाव।
कहै जेठानी देउरानी के देख देख के ठाठ ।
हम न करब गोबसहर गाँव मा तोहरे बइठै काठ। ।
हमू चलब अब रहब शहर मा करइ कुलाचन घाव।
नाती केर मोहगरी ''आजा'' जुगये आस कै बाती।
बीत रहीं गरमी कै छुट्टी आयें न लड़िका नाती। ।
खेर खूंट औ कुल देउतन का अब तक परा बधाव।
ममता के ओरिया से टपकें अम्माँ केर तरइना।
फून किहिन न फिर के झाँकिन दादू बहू के धइन.। ।
यहै रंझ के बाढ़ मां हो थै लउलितियन का कटाव।
शहर मा जाके ----------------------------------------
हेमराज हंस --9575287490

 

पंडित रामनरेश

सब्द बह्म का रूप है सब्द धरै जब भेष।
मैहर मा एक संत हें पंडित रामनरेश।।

खेत कहै आभार

 फसलन मा पाला लगा परी ठंड कै मार।
भितरघात मउसम करै खेत कहै आभार।।

अपना के तेल मा

 अपना के तेल मा खरी अस जनाथी।
या सम्बेदना मसखरी अस जनाथी।।
जे डबल रोटी   का  कलेबा करा थें
उनही अगाकर जरी अस जना थी। ।

टोरिया कहां ही

 

बारजा बचा हय ओरिया कहां ही,
पिल्वादा के दूध कै खोरिया कहां ही।
 
रासन कारड हलाबत तिजिया चली गै,
कोटा बाली चिनी कै बोरिया कहां ही।।
 
नोकरी लगबामै का कहि के लइ गया तै,
वा गरीब कै बड़मंसी टोरिया कहां ही ।
 
आजादी के अस्वमेघ कै भभूत परी ही ,
लिंकन के लोकतंत्र कै अंजोरिया कहां ही।।
 
वा प्रदूसन कै पनही पहिरे मुड़हर तक चलागा,
गांव के अदब कै ओसरिया कहां ही ।
 
घर के सुख संच कै जे जपत रहें माला ,
वा पिता जी कै लाल लाल झोरिया कहां ही।।
हेमराज हंस मैहर

विवेका नंद

 

पूज विवेकानंद मा है भारत का गर्व।
उनखे बसकट मा रमा जुवा दिवस का पर्व।।
रचिन विवेकानंद जी एक नबा इतिहास।
भारत केर महानता का बगरा परकास।।
जुरे शिकागो मा रहें दुनिया के बिद्वान।
एक सुर मा ब्वालैं लगें जय जय हिन्दुस्तान।।
चाह शंकराचार हों चाह विवेका नंद।
भारत के जसगान का रचिन ऋचा औ छंद।।

बड़े अदब से बोलिये,

 नेता   जी  के  नाव  से  उभरै  चित्र  सुभाष।
अब के नेता लगि रहें जइसा नहा मा  फांस।। 

बड़े अदब से बोलिये, उनखर जय जय कार।
गांव- गांव  मा  चल  रही , गुंडन कै सरकार।।

 
चह जेही थुर देंय उइ ,याकी कहैं कुलांच।
नेता जी के नाव से, अयी न कऊनव आंच। ।  

हंस कहै बिद्वान

 चुटकी भर के ज्ञान का झउआ भर परमान।
तउअव अपने आप का हंस कहै बिद्वान।। 

बिटिआ

 बिटिआ बेदन कै  ऋचा साच्छात इस्लोक।
दुइ कुल का पामन करइ अउ साथै मा  कोंख।।

कोउ बीबी से दुःखी है

 कोउ अमीरी से ता कोउ गरीबी से दुखी है।
कोउ दुसमन से ता कोउ करीबी से दुःखी है। ।
काहू   का   सुख   संच   हेरे  नहीं      मिलय  
कोउ मिया से ता कोउ बीबी से दुःखी  है। ।

या कइसा संजोग।

फुन्नी ता चिकनान ही लगा है जर मा रोग।
भारत अउर बसंत का या कइसा संजोग। ।

बाउर पइदा होंय।

उंई चाहाथें देस मा बाउर पइदा होंय। औ उनखे घर मा जनाउर पइदा होंय।। एक बूंद पानी न बरखै खेत मा औ सीधे धान नही चाउर पइदा होंय।।

युग नायक

युग नायक होते नहीं, किसी जाति में कैद। वे बीमार समाज के , हैं शुभ चिंतक बैद। । शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। ईश्वर को लेना पड़ा परशुराम अवतार।।

उनखर भाखा सखार

उनखर भाखा सखार अस जना थी। कऊनव करतूती तोखर अस जाना थी। । जब से हबा मा माहुर घोरिस ही राजनीती। तब से भाई चारा का बोखार अस जाना थी। । हेमराज हंस भेड़ा

बदरी कै हरताल

कहूं कहूं बूड़ा चढा भरे खेत औ ताल। हमरे बिंध मा चल रही बदरी कै हरताल।।

न सामन कै हरिअरी

न सामन कै हरिअरी न नदिअन मा धार। बइठ किसनमा मेंड़ मा गदिआ धरे कपार।।

गुरुवार, 22 सितंबर 2022

बुधवार, 21 सितंबर 2022

चीता आबा देस मा

चीता आबा देस मा सीगट भा नाराज।                                                                                                       कहिस कि अब कइसा बनब जंगल का महराज। । 

  सीगट कै ही चाहना रहै जंगली शान।                                                                                                             बन का राजा जब रहै सीगट लोखरी श्वान। ।

जंगल मा साहुत बनी ,सीगट लोखरी केर।
देख  देख  बिदुरा  थै ,बन  का  राजा शेर।।  

गुरुवार, 15 सितंबर 2022

bagheli kavita

आयुष्मान का कार्ड धरा है हमरे खीसा मा। पै दबाई से जादा भरोसा हनुमान चालीसा मा।। अस्पताल क हाल न पूछा वहै बेजार ही आज। न बिस्तर न दबा डाकदर कइसा होय इलाज। । महतारी लै रकत कै थइली निगडउरे गभुआर। अमरित परब आजादी मा देखा फोटो सरकार।

दरी से पूंछा थें।

कुर्सी के सबाल उइ दरी से पूंछा थें। गरु गंभीर बात मसखरी से पूंछा थें। । तेल कोल्हू पी गा कि पहार मा चुपरा गा उइ पशु आहार के खरी से पूंछा थें। ।

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

बाउर पइदा होंय

उइ चाहा थें देस मा बाउर  पइदा होंय। 

औ  हमरे  नेरे  जनाउर  पइदा  होंय।।  

एक  बूंद  पानी  न  बरखै  खेत  मा

अउ धान  नहीं सीधे  चाउर  पइदा होय। ।  

साहित्त फुर कहा थै

साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै। अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। । साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है , साहित्त खउटही का कबरी नहीं कहै। । ''राम'' के दरबार तक वाखर धाक ही , पै कबहू अपने मुंह से ''शबरी''नही कहै। । उई घायल से पूंछा थें कि कइसा लगा थै अस्पताल पहुचामै का खबरी नहीं कहै। । रूपियन के निता कबहू कविता नही लिखै हंस काही कोउ दुइ नम्बरी नहीं कहै। । हेमराज हंस --9575287490

जियसटी ही दादू

देस मा भूंख कै बस्ती ही दादू । तऊ रोटी भात मा जियसटी ही दादू ।। महगाई बजिंदा खाये ले थी अमरित पर्ब कै मस्ती ही दादू।।

कबाड़ी लइगा

कोउ मूसर कोउ कांड़ी लइगा। कोउ टठिआ कोउ हांड़ी लइगा ।। आसौ देबारी का जब सफाई भै रसखान औ कबीर का कबाड़ी लइगा।।

घर घर मा फहरान तिरंगा,

घर घर मा फहरान तिरंगा, अमरित परब अजादी के। होइगें पछत्तर बरिस देस के, सबका गरब अजादी के।। बंदेमातरम राष्ट मंत्र से गूंज उचा धरती अकास देशभक्ति के जनगनमन से अस्तुति करब अजादी के।।

मैथली जी

 बांचिये बघेली के सिरमौर कवि श्री मैथली जी को ************************************************* जेखा दिखे से बोखारि चढइ तन ताप बढइ अउ आखि पिराई। तेई करइ ससुरे अपने भइया भउजी कइ खूब बडाई।। खरचा दस पाचि मिलइ कबहूं झट लेती हमइं अचरा गठिआई। पउतीं न चारिउ आना तबउ कहइं भइया दिहिनि हइ राखी बधाई।।
बांध फूट पुलिया बही गिरी कहूं स्कूल। दरबारी कहि रहें हें यमै दइव कै भूल।।

बिजली मा चाकी परै

 बगदर चाबैं रात भर दिन माछी मन्नाय। बिजली मा चाकी परै छिन छिन आबै जाय।।

पितर पक्ष

 पितर पक्ष आबा जना लइ पुरखन कै याद। अर्पन तर्पन पिंड से सादर करी सराध।।

सिरी सरूपा नंद

ब्रह्म लीन भें जगत गुरु सिरी सरूपा नंद। डूबें सोक सनातनी दसौ दिसा नौ खंड।।

: काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा।

काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा। हीठत जइहा कांधे अइहा।। ब्रिंदाबन मा रहय का है ता तुमहूं राधे -- राधे गइहा । । भ्रसटन मा हम बिस्व गुरु हन कबहुं ता आराधे जइहा। । छापा परा ता निकली गड्डी अब ता भइलो बांधे जइहा। । पूर सभा गंधाय लाग ही आखिर कब तक पादे जइहै। । हंस

काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा।

काल्ह तुहूं ता धांधे जइहा।
हीठत जइहा कांधे अइहा।।

ब्रिंदाबन मा रहय का है ता
तुमहूं  राधे -- राधे गइहा  । ।

भ्रसटन मा हम बिस्व गुरु हन
कबहुं ता आराधे जइहा। ।

छापा परा ता निकली गड्डी
अब ता भइलो बांधे जइहा। ।

पूर सभा गंधाय लाग ही
आखिर कब तक पादे जइहै। ।
                हंस</b>

मस्त माल है।

देस मा चारिव कइती दहचाल है। फुर फुर बताबा का अपना का मलाल है।। दिल्ली अपने मन कै बात बाँचा थी कबहूँ नहीं पूछिस कि देसका का हाल है। । कूकुर के चाबे मा भोंका थी मीडिआ गऊशाला नहीं झांकै की भूसा पुआल है। । सरकारी दफ्तर मा घूंस बिना काम नहीं हर कुरसी पाले एकठे दलाल है। । हमरे संस्कार का येतू पतन भा वा बहिनी बिटियन का कहाथै मस्त माल है। । हंस