हम बड़े भयन है मस्सकत औ पीरा से।
घोपा का न तउली अपना जकीरा से।।
जब रइदास के साथ मा भजन गाइन
ता केतू क्याबा भें पूँछी अपना मीरा से।।
खने के हाथ का ठेठा नहीं देखय केउ
दुनिया मोहित हिबय चमचमात हीरा से।।
काहू का छोट जान के न तउहीनी करा
सबसे महँग ओन्हा रेसम बना थै कीरा से।।
बांसुरी केर सुर पिआर लगय काने मा
हंस केतू पीरा हिबै पूँछी अपना भीरा से।।
हेमराज हंस