बाल दिबस कै हार्दिक सुभकामना
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हमही ता अइसा लगै, बाल दिबस का सीन।
जस हमरे कैलाश मा, कब्ज़ा कीन्हे चीन।।
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पन्नी बीनत बीत गै, ज्याखर उमिर किसोर।
ओखे दुअरै कब अइ बाल दिबस कै भोर।।
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जे कबहूं जानिस नही, पोथी अउर सलेंट।
बूटन मा पालिस किहिस होटल घसिस पलेट।।
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जहाँ ब्यबस्था खाय गै, पंजीरी औ खीर।
गभुआरन के भाग मा बदी कुपोसित पीर।।
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दरबारी जेही कहै, बोटहाई मा नात।
पै कबहूं देखिन नही वाखर दुधिया दांत।।
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हबै कुपोसित देस मा, जेखर ल्यादा घींच।
ओ! बालदिबस फुरसत मिलै ता उनहूं का सींच।।
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हेमराज हंस -- भेड़ा मैहर
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