बुधवार, 25 दिसंबर 2019


हेमराज  हंस 
पिता जी  श्री परमेश्वरदीन  उरमलिया 
माता जी  स्वर्गीय तारा देवी 
ग्राम पोस्ट --गोबरी 

  मइहर  म प्र 
9575287490 
भारत माता काही गरब है अपने  अटलबिहारी का। 
जुग गाई उनखर गुन गाँथा थाती धरे चिन्हारी का। । 
जब जब नेतन कै बात चली ता भारत माता यहै कही 
देखा अपने अंतस का पुन देखा अटलबिहारी का। । 
 
हेमराज हंस भेड़ा मइहर 
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**हे जुग नायक अटलबिहारी **
हे जुग नायक अटलबिहारी। 
अपना का य देस आभारी। । 

हिरदय राज किहिन जन जन के। 
रहे कबीर अस सबके मन के। । 
को है यतर बड़ा बेउहारी। 
हे जुग --------------------

भारत के अनमोल रतन उइ। 
अपने आप मा एक बतन उइ। । 
सबके मंगल अउ उपकारी। 
हे जुग ----------------------

लोकतंत्र के अटल हिमालय। 
साहुत के इस्लोक शिवालय। । 
भारत रतन हे अटलबिहारी। 
हे जुग ---------------------

लोकतंत्र के उइ चरित्र अस। 
सबके हितुआ रहे मिंत्र अस। । 
तानाशाही का बनबारी। 
हे जुग नायक अटलबिहारी। । 

हेमराज हँस  भेड़ा 









शनिवार, 21 दिसंबर 2019

पंडित दीन दयाल

भारत माही जब मची सामाजिक दहचाल। 
मानववाद लय आय गें पंडित दीन दयाल।। 

अपने  तीरथ बरथ मा राष्ट्र वाद का प्रेम। 
एकात्म के ग्रंथ मा सबका  हित औ क्षेम।। 

बसै  देस कै  आतिमा टोला गाँव देहात। 
पंडित जी के  सूत्र  हें  जगन्नाथ अस भात।। 

राष्ट्र वाद के डाकिया एकात्म के मूल। 
पंडित जी शतशत नमन करै बघेली फूल।। 

विवेकानंद

पूज बिबेकानंद मा है भारत का गर्व। 
उनखे बसकट मा रमा युबा दिबस का पर्व।। 

रचिन बिबेकानंद जी एक नबा इतिहास। 
भारत केर महानता का बगरा परकास।। 

जुरे शिकागो मा रहें   दुनियां के बिद्वान। 
एक सुर मा बोलैं लगें  जय जय हिन्दुस्तान।। 

चाह शंकराचार्य हों चाह बिबेकानंद। 
भारत  के जस गान का रचिन रिचा औ छंद।। 
           ⌚हेमराज हंस भेड़ा ⌚


आपन बोली

महतारी अस लगै मयारू घूंटी साथ पिआई।
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 

भांसा केर जबर है रकबा बहुत बड़ा संसार। 
पै अपने बोली बानी कै अंतस तक ही मार।। 
काने माही झनक परै जब बोली कै कबिताई। 
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 

समझैं आपन बोली बानी बोकरी भंइसी गइया।
नीक लगै जब लोक गीत अस गाबै कहूं गबइया।।
अपने बोली मा कोल दहकी लोरी टिप्पा राई। 
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 

महकै अपने बोली माही गांव गली कै माटी। 
आपन बोली महतारी के हांथ कै परसी टाठी।। 
अपने बोली मा गोहरामै घर मा बब्बा दाई।
आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।। 


गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

बिटिआ कै बसकट (जन्मदिन)

बड़े सकारे बिटिआ बोली बड़े उराव भरे। 
पापाऽ  आजु मोर बसकट ही हरबी अया घरे।। 

हम न कहब कि तुम लइ आन्या हमी मिठाई केक। 
घर मा सब जन बड़े प्रेम से खाब अंगाकर सेक।। 
झोरा माही दस रुपया कै लइया लया धरे। 

बचै केराया से जो पइसा लीन्हया एक कलम। ज्यमा  उरेहब अच्छर अच्छर सीखब लिखय करम।। 
पढ़ब  लिखब ता देखि लिहा पुन दिन अपनिव बहुरे।। 

मोहि न चाही नये नये ओन्हा येतु करया बंधेज। 
रक्छा होय मोरे बचपन कै औ पढि सकउ  कलेज।। 
सुसुकि सुसुकि के रोबैं लागी दोऊ तरइना  भरे।
पापा   आज मोर बसकट ही हरबी अया घरे।। 

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस :                          गरीब केर ठंडी गरीब केर ठं...

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस :                          गरीब केर ठंडी गरीब केर ठं...:                          गरीब केर ठंडी  गरीब केर ठंडी          गरीब केर ठंडी।  बांध्य का देहे गतिया पहिरै   का फटही बंडी।  ।  सथरी...

गरीब केर ठंडी

                         गरीब केर ठंडी

 गरीब केर ठंडी          गरीब केर ठंडी। 

सथरी बिछी ता लागय डनलप का गुलगुल गद्दा। 
पउढ़य घरे भरे  के भाई बहिन अउ दद्दा। । 
आबा थी निकही निदिआ बे गोली बे बरंडी। 

दिन उअतै घाम तापै चउरा मा मारे पलथी। 
बिटिआ लाग रांधै नए चाउर कै गोलहती। । 
चुल्हबा  मा आंच देथी धंधोल बिनिआ कंडी। 

दुई होय कि रुई होय कहि के मुस्की मारै भउजी। 
कापा थें तन के हाड़ा जाड़ा किहे मन मउजी। । 
तउअव गरीबी खुश ही जस जुद्ध  मा शिखंडी। 

करजा का खाब है अउ पयार  केर तापब। 
ओन्हा  नहीं अलबुद्दा जाड़े मा थरथर काँपब। । 
गरीबी कै नामूजी जाड़ा करइ  घमण्डी। । 
                     
                   HEMRAJ HANS BHEDA





बुधवार, 18 दिसंबर 2019

टोरिया कहा है

बारजा बचा है ओरिआ कहाँ ही। 
पिल्वांदा के दूध कै खोरिआ कहाँ ही।। 

राशन कार्ड हलाबत तिजिया चली गै
कोटा बाली चीनी कै बोरिआ कहाँ ही।। 

आजादी के अश्व मेध कै भभूत बची ही
गांधी के लोकतंत्र कै अजोरिआ  कहाँ ही।। 

वा प्रदूषण कै पनही पहिरे मुड़हर मा चला गा
घर गाँव  के अदब कै  ओसरिआ कहाँ ही।। 

नोकरी लगबामैं का कहि के लइ  गया तै
वा गरीब कै बड़मंसी टोरिआ कहाँ ही।। 

सार अबाही खूंटा ग्यरमा औ अम्मा का पहिलय सुर 
कामधेनु कै पामर वा कलोरिआ कहाँ ही।। 

घर के सुख संच कै जे जपत रहें माला 
वा पिता जी कै लाल लाल झोरिआ कहाँ ही।।                
 ✍️ हेमराज हंस भेड़ा मैहर 

शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019