अब कोउ कुआं खनाबय नहीं बोर ह्वाथै।
औ बोर करत बेरिया खासा शोर ह्वाथै।।
उइ पाले रहय तीतुर चमगादर औ अरुआ
आपन ता रास्ट्रीय पच्छी सुघर मोर ह्वाथै। ।
आमा फल का राजा यमै कउनव सक नहीं
पै ओहू माही थोर काहि तोर ह्वाथै। ।
एक दूसरे का उइ खुब कहैं चोट्टा
जे पकड़ जाय जाहिर वहै चोर ह्वाथै। ।
रूख मा मिठास ही हराथै पीलिया
पै ओहू मा गठान पोर-- पोर ह्वाथै। ।
"हंस" वा गरीब पै ईमानदार है
रिनिहा निता पइसा मुँहचोर ह्वाथै। ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें