शुक्रवार, 30 दिसंबर 2022

चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का 

जात  फलाने 

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होथी  सड़क जब तात फलाने। 
जराथें    तरबा   लात   फलाने।। 
 
को   को   ओखे   ऊपर  हींठा 
वा   नहि  पूंछय   जात  फैलाने।। 
 
करज  लेत  मा  खूब सराहिन 
देत मा टूट गा  भात फलाने। ।  
 
खूब किहिन स्वहबत अटकी मा 
अब नहि पूंछय बात फलाने। ।  
   
चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का 
आमय जब कोउ नात फलाने। ।
    
वा  बाप  फिफियात  फिरा थै 
बांट दइस जरजात फलाने। । 
      
सबसे   जबर  गद्दार  वा  है 
जे करय नून मा घात फलाने। ।  
 
 सचेत रहा  हितुअन से हंस
जे बइठाथें दिन रात फलाने। ।
  

रविवार, 25 दिसंबर 2022

हेन नफरत कै दुकान नहीं ,पूर कारखाना है

हेन नफरत कै दुकान नहीं ,पूर कारखाना है। 
चीनी मानस पूतन का ओखे ठइ थाना है।।
उनखर  उद्देस  है  समाज  का लड़बाउब 
गरीबन का उपरउझा ता एकठे बहाना है।। 
 

शनिवार, 24 दिसंबर 2022

नंगई बांकी ही

 अबै ता या कमीनापन आय नंगई बांकी ही
किलनी   लगी    है ,   बगई     बांकी     ही ।।

उइ सीला सपोटी   मा चेरुआ  भर  पकड़े हें।

घुटकी  दबामैं  कै , दबंगई    बांकी     ही। ।

गुरुवार, 22 दिसंबर 2022

पहिले ता खासा आदर भा

पहिले ता खासा आदर भा। 
पुन  फेर  मादर   फादर भा।। 
 
आधी रात तक चली पालटी
 भाई   चारा   सादर  भा।।
 
जब से मुर्रा भइंसी आयी 
झरहा दुखी बिरादर भा। ।
 
पहिले तउ कुछु पता नही,
भरी दुपहरी बादर भा ।
 
धूर्त कला मा फस्ट डिबीजन 
पका पका मन गादर भा। ।
 
मेर मेर के मनइ जग मा 
मान ता कहौं निरादर भा। ।
 
मची हिबै नफरत कै चहदर
अरुआ तक चमगादर भा।।
 
उनखे सहर मा नाच पतुरिया 
हंस के गाँव मा दादर भा। ।
 
 
 
 
 

बुधवार, 21 दिसंबर 2022

 गरीबन के दिल है 

 गरीबन के दिल है  दल नही होय।
ओखे समिस्या का हल नही होय। ।
वा चाह ज्याखर जिन्दावाद ब्वालय
पै पीरा के ग्रन्थ तरी रहल नही होय। ।

सोमवार, 21 नवंबर 2022

गिलास अपने आप का बाल्टी बताउथें।।

 उइ अपने  का रास्टीय  पाल्टी बताउथें।  
गिलास  अपने आप का बाल्टी बताउथें।।
देस भर मा उनखर जब खासा बिज मरी भै
ता उइ नकली बीज कै  क्वालटी  बताउथें। । 

रविवार, 20 नवंबर 2022

धन्न हे ! बानी पूत


किहिन  बघेली  का  सुघर , हस्ट पुस्ट दिढ़बार।  
आंखर आंखर मा अमर ,लछिमन सिंह परिहार। ।
 
अपने बोली का दिहिन, जिवभर खूब दुलार।
पयसुन्नी  रेबा कहै ,  जय   महराज   कुमार  । । 
 
समय लिखी इतिहार जब , कबौ  बघेली सूत। 
बांच  बांच  बिंध्या  कही , धन्न  हे ! बानी पूत। ।

शनिवार, 19 नवंबर 2022

दहिजार

 पहिले प्रेम प्रसंग का ,खूब भा लोकाचार। 
फेर ओही लुच्ची  कहिस ,वा ओहि दहिजार।। 

सोमवार, 14 नवंबर 2022

राजनीत ता केबल आपन बाधा द्याखा थी

जब कबहूं द्याखा थी ता वा आधा द्याखा थी। 
राजनीत ता केबल आपन बाधा द्याखा थी।।   
कोऊ बइठय  सिंघासन के गरू पालकी मा 
जनता लहकत लोकतंत्र का कांधा द्याखा थी। । 
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टेक्टर जब से आबा ता बरदा हेराय गा।
गाँव   के  रीढ़   का   गरदा    हेराय गा।।
अब चाल चेहरा चरित्र कै चरचा नहीं चलै
घिनहा पानी निकरैं का नरदा हेराय गा। । 

शुक्रवार, 11 नवंबर 2022

अउलाद का तरसा थै

किसान बिचारा   खाद     का    तरसा   थै।
निर्बल  बपुरा  फरिआद    का   तरसा थै।।  
कोऊ जीबन  काटा रहा है  बृद्धाआश्रम मा
औ कोऊ आंसू ढारत 
अउलाद का तरसा थै।। 
 
हम समाज के मिल्लस कै आसा  करी  थे। 
ता अपना हमरे ऊपर इस्तगांसा  करी थे।। 
बहुरुपियव लजाय जाय अपना का देख के 
निकहा नाटक नेरुआ  औ  तमासा करी थे। ।