BAGHELI बघेली RIMHI RACHNA रचना का संगम
अबै ता या कमीनापन आय नंगई बांकी ही । किलनी लगी है , बगई बांकी ही ।।
उइ सीला सपोटी मा चेरुआ भर पकड़े हें।
घुटकी दबामैं कै , दबंगई बांकी ही। ।
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