श्री वाणी वंदना 1
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हे मातु शारदे संबल दे
तै निरबल छिनीमनंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
दिन दिन दूना होय देस मां
लोकतंत्र मजबूत।
घर घर विदुषी बिटिया हों औ,
लड़िका होंय सपूत॥
विद्वानन कै सभा सजै औ
पतन होय हेन नंगा का।
मोरे देस कै शान बढै
औ बाढै मान तिरंगा का॥
‘बसुधैव कुटुंम्बं' केर भावना
बसी रहै सब के मन मां।
औ परबस्ती कै लउलितिया,
रहै कामना जन जन मां ॥
देस प्रेम कै जोत जलै,
कहूं मिलै ठउर न दंगा॥
मोरे देस.........................
खेलै पढै बढैं बिद्यार्थी,
रोजी मिलै जबानन का।
रोटी औ सम्मान मिलै,
हेन घर घर बूढ़ सयानन का॥
रामेश्वरं मां चढत रहै जल,
गंगोतरी के गंगा का।
मोरे देस कै ......................
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मैहर धाम 2
मइहर है जहां विद्या कै देवी,
विराजी माँ शारद शक्ति भवानी।
पहिलय पूजा करय नित आल्हा,
औ देवी के वर से बना वरदानी॥
मइहर है जहा लिलजी के तट ,
मठ मह शिव हें औधड.दानी॥
ओइला मां मन केर कोइला हो उज्जर,
लंठव ज्ञानी बनै विज्ञानी।
मइहर है जहा संगम है ,
सुर सरगम कै झंकार सुहानी॥
अइसा पुनीत य मइहर धाम कै,
शत शत वंदन चंदन पानी॥
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वाणी वंदना
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वर दे वीणापाणि हंसवाहिनी वागीश माँ ,मेरे देश को तु सुख शान्ति समृद्धि दे।
रह द्वेष के कलेष लेश मात्र भी न रहें ,जन जन में जान्हवी सी शुचि धार बुद्धि दे। ।
सब में हो सर्व धर्म सदभाव भावना ,सत्य शौर्य धैर्य बल विवेक की तू वृद्धि दे।
दे दे शारदे अम्ब अविलम्ब अवलंब, भारत में भर्ती माँ ऋत ऋद्धि सिद्धि दे। ।।