लेबल

सोमवार, 4 नवंबर 2024

तुम बत्तीसी काढ़ दिहा औ खीस निपोरे चले गया।

 तुम बत्तीसी  काढ़  दिहा औ खीस निपोरे चले गया। 

गील पिसान हमार देख परथन का बटोरे चले गया।। 


सिसकत राति से पूछि लिहा कस लाग पलेबा खेते मा 

तुम बिदुरात साँझ देखय का बड़े अँजोरे चले गया।। 


 गाय बिआन ता बनी पेंउसरी  पै पेटपोछना  नहीं  रहा 

पूरा दिन महतारी रोयी  तुम बिन मुँह फोरे चले गया।। 


जब से रोमा झारिस नफरत प्रेम का रकबा घटा खूब 

खसरा  माही  दर्ज  खैरिअत  झूंटय  झोरे चले गया।। 


काल्ह  फलनिया  कहत  रही या सरबार मा  गाज गिरै 

कउनव  साध न पूर भयीं , बस गउखर जोरे चले गया।।


चित्रकूट मा दीपदान का खासा जबर  जलसा भा हंस 

पै तोहार नजर  गदहा  हेरैं  ता उनखे  ओरे चले  गया।। 

हेमराज हंस -भेड़ा मइहर 

मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

अपना जेही छू देयी वा सोन बन जाथै ।

 अपना जेही छू देयी वा सोन बन जाथै । 

खारा  पानी  जम  के  नोन  बन  जाथै ।।

सौ  सौ  प्रनाम अपना के पयसुन्नी का 

असीसे से जेखे कोण  सटकोण बन जाथै।   

सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

रात सजी जग मग जागत है।

 रात  सजी  जग मग  जागत है। 

देस  स्वस्तिक  अस   लागत है।। 

दिया  लेस के  कहय  अमाबस 

हे ! रघुनंदन  जू का स्वागत है। । 

हेमराज हंस  भेड़ा  

रविवार, 27 अक्टूबर 2024

नल कुबेर के हिदय मा,

 नल  कुबेर  के हिदय  मा, काहे उचय  न  टीस। 

वा एक तो बड़मंसी  लिहिस, औ मागै बकसीस।। 

भला बताई आप से, कउन ही आपन सउंज।
अपना बोतल का पियी, हम पी पानी अउंज।।

शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

लाट बनमै का रहा खाम्हा बना दइस ।

 लाट  बनमै   का  रहा  खाम्हा बना दइस । 

छाया  कम  रही  ता  लम्मा   बना  दइस।।


देस  के  करतूती   बइठ  हें  हाथ  सकेले

सेंत  का  अनाज  निकम्मा   बना  दइस।।


का खुरपी गहन कीन्हे का मुक्तये हँसिया के 

वा  कबरा काही रंग के  तम्मा  बना दइस।।


अठमाइनव  चढ़ाये  मा देवी   रिसान  ही 

पाँव  छुए  काम  सब अम्मा  बना  दइस।।


घिनहा  आतंक  बगरा  हबै कालयबन का 

कइसा दुस्ट दादू का रम्भा  बना दइस।।


वा बोली के बखरी मा है बहुरी बरात अस 

कइसा अडारन हंस का ब्रह्मा बना दइस।।

हेमराज हंस भेड़ा मइहर मप्र 

गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

का बताई की कहा कहा पिरात है।

का   बताई   की   कहां    कहां   पिरात  है। 

बैचैन  हबै  जिउ  मन   बूढ़त   उतरात  है।।  


उनखर फरक रही ही सकारे से बायीं आँख

पलकैं लगउतीं लूसी  ता  काजर सुगात है।।


वाठर  बनाउत    तक   ता  उनसे  नहीं बनै 

लबरी   बता   रहे   हें  अमल्लक   जनात है ।।


उनखे  चिकोटी  चींथे  कै चिन्हारी  बनी  ही 

अंतस  मा  उनखे   प्रेम  का   जल प्रप्रात है।।


पाबन   पुनीत  प्रीत   कै  पूजा  यतर  ही  हंस 

तुलसी के चउरा  का दिआ  जस टिमटिमात है।।

हेमराज हंस   


सोमवार, 14 अक्टूबर 2024

अब तो भइया जी अती होइगै।

अब तो भइया जी अती होइगै।
समाज कै दुरगती होइगै।।
उनखे गाड़ी मा लगिगा हूटर
जब ओहदा मा श्री मती होइगै।।
होत होई काहू का फायदा
पै अपने देस के छती होइगै।।
वा ता भेजे रहा पढ़य खातिर
पै समाज मा नककटी होइगै। ।
भले भिरुहाये मा भसम भें मदन
पै विधबा तो बिचारी रती होइगै।।
भाईचारा के विश्वविद्यालय मा हंस
कुलटा राजनीत कुलपती होइगै।।
हेमराज हंस --

रविवार, 13 अक्टूबर 2024

छोहगइली लये चांदनी

 छोहगइली लये चांदनी, जागी सगली रात। 

नदी तीर गोठत  रहा, चन्दा रोहणी साथ  । । 

जब से पोखरी ताल का, होइगा पानी थीर। 
ता चकबा निरखैं  लगा, चंदा  कै  तसबीर।।  

प्रेम भरी पोखरी रही,

 प्रेम भरी पोखरी रही, कोउ दिहिस घघोय। 

जस बिजली के तार का, जम्फर टूटा होय।। 

हेमराज हंस  

पहिले लड़ीं गिलास खुब

पहिले लड़ीं गिलास खुब, नेम प्रेम सम भाव। 
फेर गारी गुझुआ  भयीं, होय  लाग जुतहाव।। 
हेमराज हंस