खेत बिका कोलिया गहन बिकिगा झुमका टाप।
पट्टीदार बिदुराथें सिसकै बिटिअय बाप।।
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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023
रविवार, 19 फ़रवरी 2023
मूड़ घोटाये भर से कोउ लामा नहीं
मूड़ घोटाये भर से कोउ लामा नहीं होय ।
जइसा हर गरीब सुदामा नहीं होय । ।
उनहूँ मा छबि देखा अब्दुल कलाम कै
सब कोउ आताताई ओसामा नहीं होय । ।
@हेमराज हंस भेड़ा
शनिवार, 18 फ़रवरी 2023
आधी उमिर ता गरिआमै मा चली गै
आधी उमिर ता गरिआमै मा चली गै।
औ जउन बची वा तेलिआमै मा चली गै।।
तुम उनखे जिन्दगी का तजुरबा न पूंछा
रिसाय मा चली गै भंजामै मा चली गै।।
गाँव मा जबसे होरी कै डाँड़ गड़ी ही
गोरी का कबीर सुनामै मा चली गै।।
छूला ता खूब फूला डोंगरी पहार मा
पै कनैर का गुलाब बनामै मा चली गै।।
फगुआ का मिली हंस ता अबीर लगाउब
जेही मन मा दबी बात बतामै मा चली गै।।
@हेमराज हंस भेड़ा
गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023
अब कोउ कुआं खनाबय नहीं बोर ह्वाथै
अब कोउ कुआं खनाबय नहीं बोर ह्वाथै।
औ बोर करत बेरिया खासा शोर ह्वाथै।।
उइ पाले रहय तीतुर चमगादर औ अरुआ
आपन ता रास्ट्रीय पच्छी सुघर मोर ह्वाथै। ।
आमा फल का राजा यमै कउनव सक नहीं
पै ओहू माही थोर काहि तोर ह्वाथै। ।
एक दूसरे का उइ खुब कहैं चोट्टा
जे पकड़ जाय जाहिर वहै चोर ह्वाथै। ।
रूख मा मिठास ही हराथै पीलिया
पै ओहू मा गठान पोर-- पोर ह्वाथै। ।
"हंस" वा गरीब पै ईमानदार है
रिनिहा निता पइसा मुँहचोर ह्वाथै। ।
शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2023
दरे रहा छाती मा क्वादव
दरे रहा छाती मा क्वादव।
घाव रही या तोहरे बादव।।
सामन मा जे आंधर भे तें
उनही जेठव लागय भादव। ।
बध घर का लहसेन्स बना है
नोटिस बांच रहे हें माधव। ।
हबय इण्डिया सूटबूट मा
औ भारत के पाँव मा कांदव। ।
लहटे हें बनरोझ खेत मा
फसल बची न आधव ध्वाधव । ।
लहटे हें रोझबा खेतन मा
हंस रात भर ताकै यादव । ।
गुरुवार, 2 फ़रवरी 2023
शम्भू काकू
शम्भू काकू
जहां बघेली आय के, होइगै अगम दहार।
वा रिमही के शम्भू का, नमन है बारम्बार।।
बघेली साहित्त के, शम्भू काकू सिंध।
देह धरे गाबत रहा, मानो कबिता बिंध। ।
गांव गली चउपाल तक, जेखर बानी गूंज।
श्री काकू जी अमर भें, ग्राम गिरा का पूज। ।
लिहे घोटनी चल परैं, जब कबिता के संत।
सब कवि काकू का कहैं, रिमही केर महंत। ।
न चुट्कुल्ला उइ कहिन, ना अभिनय परपंच।
बड़ा मान आदर दइस,तउ कबिता का मंच। ।
जेखे कबिता के बिषय, आंसू आह कराह।
अच्छर फरयादी बने, काकू खुदै गबाह। ।
कबिता का पेसा नहीं, जेखे कबहूं चित्त।
बिन्ध्य लिलारे मा, लिखे, काकू केर साहित्त। ।
आंखर आंखर मा बसय,काकू कै कहनूत।
हंस बंदना कइ रहा, धन्न बघेली पूत। ।
@HEMRAJ HANS BHEDA
डॉ शांतिदूत, ji ke fb se sabhar
बघेली बोली के शलाका परुष,,काकू,का पूरा नाम शम्भूप्रसाद द्विवेदी था जिन्हें विंध्य ले लोग प्रायः ,,काकू,के नाम से जानते थे,काकू का जन्म 10 नवम्बर 1938 में रीवा में खैरी नामक गाँव मे एक कृषक परिवार में हुआ था,इनके पिता का नाम पंडित रामप्रताप द्विवेदी एवं माता का नाम श्रीमती गुजरतिया देवी था,जो देवगांव के जमीदार शिवनारायण की पुत्री थी,इनके पिता शिवभक्त एवं संस्कृति के विद्वान तथा कवि थे,इनकी माता जी भी धर्मनिष्ठ एवं शिवभक्त थी ,इसीलिए इन्हें बचपन मे शम्भू कहकर बुलाते थे जो बाद में शम्भूप्रसाद के नाम से प्रसिद्ध हुए,माता पिता की शिवभक्ति एवधर्माचरणं का अमिट प्रभाव बालक शम्भू पर पड़ा जो अनवरत जारी रहा। शम्भू प्रसाद तीन भाई तथा दो बहन थे शम्भू भाइयों में सबसे छोटे थे,भाइयों में रामसजीवन द्विवेदी,सियावर शरण द्विवेदी,तथा बहनों में शिववती एवं देववती थीं,शम्भू प्रसाद की गृहस्थी सुचारू रूप से चल रही थी परन्तु कुछ समय बाद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ,इन्ही परेशानियों के चलते पिता राम प्रताप अपना मानसिक संतुलन खो बैठे सन 1961 में विक्षिप्त होकर रीवा की सड़कों पर घूम घूम कर श्लोक,कविताएं तथा कहानियां सुनाया करते थे,और इसी पागलपन की स्थिति में शेषमणि शर्मा,,मणिरायपुरी,,की भांति 1971 में मृत्यु हो गयी तथा 1972 में माता गुजरतिया जी का भी देहांत हो गया,
शम्भू प्रसाद बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे तथा छुट पुट कविताएं लिखा करते जिसकी त्रुटियों को पिता जी सुधार दिया करते थे,इनकी प्रारम्भिक शिक्षा प्राथमिक पाठशाला सिकरम खाना रीवा में पूर्ण हुई बाद में मार्तंड हाई स्कूल से सन 1952 में हिंदी मिडिल परीक्षा उत्तीर्ण किये 1953 में आपने अंग्रेजी मिडिल परीक्षा भी उत्तीर्ण हुए,आपके ऊपर शेषमणि शर्मा ,,मणि रायपुरी,,जी का अमिट प्रभाव पड़ा,सन 1954 में काकू जी शिक्षक पड़ की नॉकरी प्रारम्भ किये इंटर परीक्षा स्वाध्यायी रूप से पूर्ण करने के बाद 1963 में सागर विश्वविद्यालय से स्नातकोंत्तर उत्तीर्ण करके प्रयाग विश्वविद्यालय से साहित्यरत्न की उपाधि प्राप्त किये,
काकू जी का विवाह सन 1950 में ग्राम पपोढ तहसील व्यवहारी जिला शहडोल के मंगल प्रसाद पयासी की पुत्री फूल कुमारी से जो धर्मप्रिय,सुलक्षीणी सामान्य शिक्षा प्राप्त अत्यंत मृदुभाषी
थी, जिनका असामयिक निधन पुत्र के जन्म के समय सन 1962 में होगया,भाई परिवार के दवाव में कवि को दूसरा विवाह फूल कुमारी की छोटी बहन के साथ 1964 मे करना पड़ा जिसकी पुत्री सुमन की मृत्यु के बाद कारुणिक कवि हृदय विलाप में आलाप करते हुए बोल पड़ा,
,,बेटी सुमन हाय तुम बिन,यह घर है मेरा सूना,
तुम बिन कैसे प्राण रखूं मैं,
यह दुख है मुझको दूना,
काकू की कविताएं अंतर्द्वंद,सामाजिक वदरूपता,ढोग,शोषितो के साथ अन्याय,तथा अनेक विसंगतियों का स्पष्ट दस्तावेज है,यह कहना समीचीन होगा कि वे विंध्य के कवीर थे,हास्य का पुट लिए उनकी रचनाए वाचकषैली का अनूठा उदाहरण है,उनके हरवर्ग के साथ सीधा सम्बन्ध स्थापित करती है,यह जनकवि निर्द्वन्द फक्कड़ बिना लाग लपेट के अपनी रचनायात्रा का मार्ग स्वयं चुनता था,बिना भय प्रीति के लिखने बाला यह विंध्य का लाडला आशुकवि सर्वग्राह्य एव सम्माननीय था,
एक बार कटनी में कविसम्मेलन हुआ,अवसर था कमला जॉन के महापौर बनने का,प्रभारी मंत्री हजारीलाल रघुवंशी,मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह,तथा बिधानसभा अध्यक्ष श्रीयुत श्रीनिवास तिवारी जी मंचासीन थे,कमलाजान ने कहा काकू जी मैं भी कविता सुनाऊँगी ,हमे कुछ लिखकर देदीजिये,बस क्या था काकू की कलम चली और कुछ देर बाद कमला जान की कविता प्रारम्भ हुई,
,,मैं हूँ कटनी का महापौर,,,
बहुत दिनों की रही तमन्ना,
मेरे सिर पर बंधा मौर,
मैं ढोल बजाता गली गली,
मैं शोर मचाते डोर डोर,,,,
मैं पंजा नही हूँ, छक्का हूँ
दिग्गी राजा का कक्का हूँ।
मैं कमल नही हूँ कमला हूँ,
मुख्यमंत्री प्रदेश का अगला हूँ।
रघुवंशी का ननदोई हूँ।
मैं दादा का बहनोई हूँ,,,
आदि,,,आदि,,
अब आप सोच सकते है कि वहां की स्थिति रही होगी,मैं उस कश्मकश का गवाह हूँ,
हाजिर जबाब काकू की स्मृतियों को कितना भी कम कहूँ तो बहुत ही होगा,
काकू की पहली पत्नी की मृत्यु के बाद उनकी शादी ग्राम तिवनी में लगी बात चल ही रही थी कि स्कूल के बच्चो ने बताया कि पंडित जी उआ विटीबा बहिरि है फिर क्या था काकू ने एक पत्र उस लड़की के घर लड़को के हाँथ भेज दिया।
,,सोने के नइयां है रूप सुहावन,
रूप बखानत जीभि थकइ ना।
मुहु लागै जोन्हईयां के नैया भला,
बिदुराइ के बोलति है जब बैना।
आंखी बड़ी बड़ी ओखी अहै,
बड़ी चोखी है,कहै लोग सुनैना।
शम्भू बिआह करै कस ओसे,
नाम सुनैना पै कान सुनै ना।
काकू जी भोपाल,जबलपुर,टीकमगढ़,कटनी,ग्वालियर,मिर्जापुर एव अन्य क्षेत्रों में घूमते तथा काव्यपाठ करते रहे परन्तु बघेली की सीमा उत्तर में चाक सोहागी डभौरा,पूर्व में देवसर,दक्षिण में लखोरा अमरकंटक और पश्चिम में मैहर सतना कोठी मुख्यतः रहा जहां वे घूमते रहे,
शम्भू काकू की गिनती,कवि जगनिक,रामसुंदर शुक्ल,मुन्नीलाल प्यारे,बैजनाथ बैजू,पण्डित हरिदास,सैफुद्दीन सिद्दीकी,,सैफू,,रामदास पयासी, कृष्ण नारायण सिंह,देव सेवकराम,डॉ भगवती प्रसाद शुक्ल,प्रोफेसर आदित्य प्रताप सिंह,कालिका प्रसाद त्रिपाठी,विजय सिंह,गोमती प्रसाद विकल,बाबूलाल दाहिया,सुदामा प्रसाद मिश्र,डॉ श्रीनिवास शुक्ल,डॉ शिवसंकर ,,सरस्,,आदि के साथ सम्मान पूर्वक लिया जाता है,आपकी मृत्यु 15 मई 2008 में हुई,
काकू जी का जीवन ब्रित्तान्त बहुत है जिसे पूर्ण रूप से कह पाना कठिन है जितना भी कहेंगे कुछ छूट ही जाएगा तथापि जो बन पड़ा उतना ही पर्याप्त है,
काकू जी को शत शत नमन
डॉ शांतिदूत,
सभी रिएक्शन:
22आप, सीताशरण गुप्त, Lalashukla Shukla और 19 अन्य लोगबहिला भइंसी
बहिला भइंसी पुन के भइंसान ही।
बिअइ ता बिअइ नहीं खूटा कै शान ही।।
या ता उनखर चुनाबी चोला आय
असली भेस भूसा अपना जानी थे आन ही।।
बुधवार, 1 फ़रवरी 2023
ससुरार से हँसत ज्याखर बिट्टी आई ही
का कह्यन ! गॉव से चिट्ठी आई ही।
बीते दिन कै सगली सुध खटमिठ्ठी आई ही।।
सुन्न से सौ गुना धन्ना सेठ होइगें
गरीबी खेत बारी मा घिट्टी आई ही। ।
काल्है छत डारय का बारू गिट्टी आई ही।।
कोऊ सामर बनमय कै क्रीम नहीं बेचै
टीबी मा जब देखा गोरी चिट्टी आई ही। ।
आजु आतंक बाद कै खूब चरचा भै
कश्मीर से फउजी कै मिट्टी आई ही। ।
वा बाप बड़ा भागमानी है हंस
ससुरार से हँसत ज्याखर बिट्टी आई ही।।
@हेमराज हंस भेड़ा
बजट
सूटबूट पहिरे बजट गांव आबा है।
पै गोबर से घिनहाथै बिकास का दाबा है।।
धनिया कलश सजाये उराव मा बूड़ी ही
पता चला नात ओखर बेउहर बाबा है।।
सोमवार, 30 जनवरी 2023
फुरा जमोखी खर पक्का
फुरा जमोखी खर पक्का।
काल्हय कइगें ते कक्का।।
पइड़े परें जे मानस के
कबय खुली उनखर जक्का। ।
वा लगत रहा मनसेरू अस
पूर पार निकला छक्का। ।
मरजादा किकिआय लाग
मिला दुःशासन अड़भक्क । ।
सिसकें तुलसी दास बहुत
लाग करेजा का धक्का।।
चउपाई का कहैं कुलांचैं
लुच्चन के लगिगा लक्का। ।
अंतस का पुस्टई देंय का
हंस आय मानस मुनक्का। ।
धरम कै या दुरगती देख
हंस हबै हक्का बक्का । ।
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