अब अउर येसे केतू निकहा सीन चाही।
उनखर धड़कन नापै का नई मशीन चाही।।
चश्मा के मथरे अब काम न चली
उनखर चरित्त द्याखैं का अब दूरबीन चाही। ।
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गाँधी जी अमर हें गंगा के धारा अस।
देस के माटी मा जन जन के नारा अस। ।
गाँधी जी पढ़ाये जइहै सब दिन इस्कूल मा
भारत के बचपन का गिनती औ पहारा अस। ।
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हम दयन नये साल कै बधाई।
फलाने कहिन तोहइ लाज नहीं आई। ।
कुटिया के खुटिया का कलेण्डर बदला है
पै अबहूँ धरी ही टुटही चारपाई। ।
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कोऊ अमीरी से ता कोउ गरीबी से दुःखी है।
कोउ दुसमन से ता कोउ करीबी से दुःखी है। ।
या दुनिया मा सुख संच हे रे नहीं मिलै
कोउ मियाँ से ता कोउ बीबी से दुःखी है। ।
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वा भले जीभ दार है पै मकुना मउना है।
एहिन से ओखे हीसा मा अउना पउना है। ।
पड़बा है काहे दूबर य बात दिल्ली जाना थी
दुधारू लोकतंत्र के पडउना का थम्हाउना है। ।
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