अब ता सगले पुन्न धरें अपना के हीसा मा।
तउ लजाते हया देख मुँह आपन सीसा मा। ।
को फुर कहै बताबै भाई देस के जनता से
जबकी हेन उइ हेमै बितुते सत्ता के चालीसा मा। ।
उइ पाखण्डी देस के सूरज काही जुगनू लिख दीन्हिन
लबरी पोदी बाला वा इतिहास है हमरे हीसा मा। ।
सिये सिये अस ओंठ हे भइय्या अमरित परब आजादी के
लागै जइसा आंखर- आंखर बंद हो बपुरे मीसा मा। ।
सागर कै अउकात नहीं पै नरबा खुब अभुआय लगे
हंस कहा थें उइ अगस्त का बंद है हमरे खीसा मा। ।
हेमराज हंस भेड़ा मइहर