बुधवार, 22 मई 2024

साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।

 साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें। 

उइ तखरी  मा गूलर  का  तउल रहे हें।। 


 कान  बहय लागी जो  सुन ल्या हा फुर 

हेन  जात  बाले  जातै  का  पउल रहे हें।। 


आपुस  मां  कइसा माहुर घोराथी इरखा 

भुक्त भोगी आपन  "हरदउल"  रहे  हें।। 


प्रथ्बी औ जयचन्द  कै मुखागर  ही  किसा 

सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।

 

कल्हव रहें  देस मा उइ आजव हेमैं  'हंस' 

जे बिषइले  उरा बाले डील  डउल रहे हें।।

हेमराज हंस 

मंगलवार, 21 मई 2024

उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।

 उइं  बड़े   'धरमराज ' हें जुआ  खेला थें। 

परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें।। 


दुआर  से  कहि  द्या  कि  सचेत  रहैं 

आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें।। 


अपना उनखे साहुत से  सेंतै डेरइत थे 

रंगे  सिआर आहीं  हुआ हुआ खेला थें।।


अगस्त का देखि के समुद्र भयभीत है

पपड़िआन  नरबा नाइ दुआ खेला थें।।


परीबा का पूजय कै तयारी  ही हंस 

आग मा प्रहलाद औ फुआ खेला थें।। 

हेमराज हंस 

राजमार्ग मा चल रहें ,

 राजमार्ग   मा  चल  रहें ,  बड़े  बेढंगे   यान। 

चालक काही है नहीं, अपर डिपर का ज्ञान।। 

हेमराज हंस  

सोमवार, 20 मई 2024

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

 खाता बचा है करंसी चली गै।

मछरी के लोभ मा बंसी चली गै।।

जब से मरे हें जेपी औ लोहिया देस मा

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

*लोकगीत *

  दार महँगी  है  खा ल्या सजन  सुसका। दार महँगी  ।   

भाव   सुनत  मा लागय गरे   ठुसका।। दार महँगी  ।। 

  

किधनव  बनाउब  पानी  पातर। 

एक दुइ दिन का दइ के आंतर।। 

लड़िकन के मुंह दइ के मुसका। दार   महँगी । 

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

   

गुजर करब खा लपटा मीजा।

दार  बनी  जब अइहैं  जीजा।। 

करंय का मजूरी कहूं खसका। ।  दार महँगी।    

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।


कइसा  चलय  अटाला  घर का। 

अइसा   पाली  पोसी  लरिका  ।।

जइसा सीता मइया लउकुस का।   दार  महँगी।

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

✍️हेमराज हंस भेड़ा मैहर 

चाहे कोऊ कवि लिखय, चह शायर श्रीमान

 चाहे  कोऊ  कवि  लिखय,  चह  शायर  श्रीमान। 

सब्द सक्ति जब तक नहीं, तब तक नही  प्रमान।।  

रविवार, 19 मई 2024

अहिबाती का बिधबा पेंसन,

 अपरोजिक  के  भरे पेट, औ  उनहिन  निता  सुपास   हबै।  
औ  जेही   अगरासन  निकरै,  वा  निरजला  उपास   हबै।। 
अहिबाती   का  बिधबा पेंसन,   बाँटय कै योजना  अइ अबै  
काजर आंज के कहिस फलनिया देस का बड़ा बिकास हबै।। 
हेमराज हंस

बाप के फोटो मा थूँकी।

 हमरेन पुरखन का गरिआई, अउर  भरी हमिन हूंकी। 

हम नहि येतू प्रगतिशील , कि बाप के फोटो मा थूँकी।। 


नित परभाती  औ  सँझबाती, करत  देस  का  पूजीथे

द्रश्टिदोख  मा उदवबत्ती  अपना  का  लागय  लूकी।।


हम गंगा कबेरी के पुजइया, रोज नहात मा सुमिरी थे 

हमीं बिदेसी कहिके अपना, नाहक मा  जबान  चूकी ।।


जे हमरे इष्ट तिथ तेउहारन मा घिनहे राखय  भाव सदा 

हम ओहू  का आदर देई थे, की चली अपना शंख फूंकी।।


जेखर  उजरइती एकअंगी, कल्थी कल्थी लागथी हंस 

उइ भंडारा का जानैं  जे पाइन बिचार कउरी टूकी।।

हेमराज हंस   

शुक्रवार, 17 मई 2024

वहै है शक के घेरे मा

वहै है शक  के  घेरे  मा, जे  नेम   प्रेम   का  आदी   है। 
जे  घर  फूंक  तमासा देखय, वा  कबीर  का गादी   है।। 
 
उनही फिकर ही युबा बर्ग कै, एहिन से सब सुबिधा ही  
कोउ अमलासन रहय  न पाबै  नशा से गाड़ी  लादी है।।  

निकरी  भूंख जब अलगा  मारे उड़ी उड़न्की खोरन मा
कोउ  उसाँसी  नहीं  देबइया  अपजस केर मुनादी  है।। 
 
अनचिन्हार  तक से जे राखय  बड़ा अपनपौ अंतस से   
कहिस  अमाबस  चंदा  काही  बहुतै  जाती  बादी है।।   

चाहे कहय  अनूतर  कोऊ  चाह कुलांच अगाध  कहै 
हंस  देस के संबिधान मा बोलय केर  आजादी   है। ।
हेमराज हंस  

अपना का आशीष

 जेखे  मूड़े मा रहय,  अपना का आशीष 

वा बन जाय कनेर से , गमकत सुमन शिरीष।  ।