गुरुवार, 9 मई 2024

बुधवार, 8 मई 2024

प्रेम काहू से ता पैपखरी कहूं अउर ही।।

या  ता अहरी आय  बखरी  कहूं  अउर  ही। 
मन तउलय के निता तखरी कहूं अउर ही। 
अब ता  कायलिव रचाये ओंठ   बागा थी 
प्रेम  काहू से  ता  पैपखरी  कहूं  अउर  ही।। 

मंगलवार, 7 मई 2024

कनमा होइगें हुम्मी मा।।

 शुक्राचार  घुसें  तुम्मी मा। 
कनमा  होइगें  हुम्मी  मा।। 
जबसे उइं खजुराहो देखिन  
ग्यान  दइ  रहें  चुम्मी  मा।।
हेमराज हंस   

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : ओही नव ठे कजरउटा है।

बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : ओही नव ठे कजरउटा है।:   जेखे  आँखी  कान नही, ओही नव ठे  कजरउटा  है। जे ऊमर केर फूल हमा, वाखर खासा अदरउटा है।।  लादे साकिल  मा डब्बा वा   पानी  हेरत  बागा थै,  रजध...

ओही नव ठे कजरउटा है।

 जेखे  आँखी  कान नही, ओही नव ठे  कजरउटा  है।
जे ऊमर केर फूल हमा, वाखर खासा अदरउटा है।। 

लादे साकिल  मा डब्बा वा   पानी  हेरत  बागा थै, 
रजधानी के निता हमारे, गॉंव मा संच सुखउटा है।।

अनगँइयव से पूछब ता वा,  वाखर   हाल बता देई,
जेखे घर मा आठ खबइया कमबइया एकलउता है ।।

कहिस बुढ़ीबा हमरे बिन्ध मा, फैक्ट्री हैं  रोजगार नही ,
काल्ह  साल  भर मा बम्बई से, मोर करेजा लउटा है।।
 
बन नदिया सरकारी भुंइ मा, सबल केर है अक्तिआर
निबल  मुकदमा लादे बागै, घर मा बचा कठउता है।। 

सरस्वती के मन्दिर  मा, बरती लछमी  की  बाती हंस
नहीं समाइत एकलव्य के फीस मा ओखर अउंठा है।। 
हेमराज हंस  

सोमवार, 6 मई 2024

धनानन्द सैलून मा, लगें बनामय बार

 भ्रस्टाचार मा डूब गा, जब मगधी दरबार।

धनानन्द  सैलून मा,  लगें  बनामय   बार।।


कहिन फलाने हम हयन, पढ़े लिखे भर पूर।

पै अब तक आई नहीं, बोलय केर सहूर।।


भारत पूजिस सब दिना,रिसी कृसी के साथ।

एक हाथे मा शास्त्र का, शस्त्र का दूजे हाथ।।

रविवार, 5 मई 2024

भारतीय स्वाभिमान के प्रतीक परशुराम।

 भारतीय  स्वाभिमान के प्रतीक परशुराम। 
सनातनी  समाज के  हैं  लीक  परशुराम।।

उदण्ड  शासकों .को  दंड  देने   के  लिये 
मिशाल  वीरता की  एक सीख  परशुराम।।

आताताइयों  के  लिए हैं  वे एक काल  सम
 साधु सज्जनों के लिये ठीक परशुराम।।

चारो  युग  में  पूज्यनीय    चिरंजीव हैं 
शूरता  की  मूर्ति  हैं  निर्भीक परशुराम। ।

धन्य  माता  रेणुका  जमदागनी   पिता। 
श्री विष्णु  अवतार पुंडरीक  परशुराम। । 
हेमराज हंस 

तब ईस्वर का लें परा, फरस राम अबतार

शासक जब कीन्हिन बहुत, सोसन अत्याचार। 
तब ईस्वर   का  लें परा, फरस  राम  अबतार।। 
 
दुस्टन काही काल अस, औ सज्जन का संत ।
श्री भृगु नंदन परसुधर , स्वाभिमान  भगमंत  ।।

भारत पूजिस सब दिना,रिसी कृसी के साथ।
एक हाथे मा शास्त्र का, शस्त्र का दूजे हाथ।। 

जुग नायक ता भे नहीं, कबौं जात  मा कैद। 
उइं  बीमार समाज के, हें सुभ चिंतक बैद।।  
हेमराज हंस 

शनिवार, 4 मई 2024