मना रहे हें जनम दिन,नाती प्रिय शिरीष।
शारद जू कै कृपा ही अपनौ देइ आशीष।।
सगले उल्लू समिट के, दिन का कहैं कुलांच।
कहिन कि अब हमहूं करब, सुरिज के रथ कै जाँच।।
हेमराज हंस
लोक पर्ब नवरातरी, सक्ति आराधन केर।
बहिनी बिटिआ चल दिहिन, पूजैं देबी खेर।।
पुजहाई टठिया लये, मन मा भरे उराव।
भक्ती माही लीन है, नगर देस औ गांव। ।
हेमराज हंस
अचरा मां ममता धरे, नयनन धरे सनेह।
माँ शारद आशीश दे,शक्ति समावे देह। ।
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नारी के सम्मान से,सम्बत कै सुरुआत।
दुनिआ का संदेस है, भारत का नवरात। ।
हे ! माता आसीस दे हम बालक हन तोर।
सबके जीबन मा रहै, बुद्धी केर अजोर। ।
जउन बोया वा काटा भाई।
अब काहे का घाटा भाई।।
जर्जर पोथी ही चरित्त कै
वमै चढ़ा ल्या गाता भाई।।
भया सुखे दुःख ठाढ़ न कबहूं
तब काहे का नाता भाई। ।
बड़े सत्तबादी बक्ता हा
पुन थूंका पुन चाटा भाई।।
आजु हबै मुँह जउकी का जउका
काल्ह कटी पुन लाटा भाई। ।
काहु का परथन कहूं समर्थन
आपन मतलब सांटा भाई।।
ऐसी कूलर अपना का सुभ
"हँस" के है फर्राटा भाई। ।
हेमराज हँस --9575287490
जुग जलसा भा अबध मा, उइ लीन्हिन मुँह फेर ।
तबय कुसाइत आय गै, लिहिस सनीचर गेर।।
हेमराज हँस