रविवार, 7 अप्रैल 2024

लोकतंत्र कै आतिमा

 लोकतंत्र  कै  आतिमा,  निर्बाचन   मतदान। 

बोट डार सब कोउ करी, प्रजातंत्र का मान।।  

हेमराज हंस 

शनिवार, 6 अप्रैल 2024

जब परछन भै अबध कै,

जब परछन भै अबध कै, ता उइ रहें रिसान। 
अब सत्ता  का स्वाद है,  खट्टा करू कसान।।  
जे जनता  के  भाबना, केर  करी  तउहीन। 
ता फुर माना राम दै, रही  न कउनव दीन।।  
हेमराज हँस  

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024

गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

बनी नागरिक ठेठ

देस हमीं जीबन दइस, औ सुबिधा चउकेठ।  

हंस  हमूं मतदान कइ, बनी नागरिक ठेठ।।

हेमराज हंस  

ठेठ = मौलिक  

टोरिहै राम पिनाक

 भले लगा लें जोर सब, उनही दई तिलाक। 

करके चूर घमंड का, टोरिहै राम पिनाक।। 

हेमराज हंस  

बुधवार, 3 अप्रैल 2024

जनता ही श्री मंत

लोकतंत्र आपन हबय, दुनिआ का लकटंट।

 जनतै  लड़िअमफूस ही ,जनता ही श्री मंत।। 

हेमराज हंस 

लकटन्ट = अपने आपको विशिष्ठ  मानने वाला, गौरवशाली समझने वाला।

लड़िअमफूस= ऐसा व्यक्ति जिसकी कोई कीमत न हो। 

डारी सब जन बोट।

जनता से बिनती हिबय, डारी  सब जन बोट। 
जिव निछोह बिदुरा सकैं, लोकतंत्र के ओंठ ।।  
हेमराज हंस --मैहर 

मंगलवार, 2 अप्रैल 2024

नंगदांय करय का एक ठे नंगा हेर ल्या।

 नंगदांय करय का एक ठे नंगा हेर ल्या। 

कहा  ठे लगामाय  खै   अड़ंगा हेर ल्या।। 

चला तउलबाय ल्या कउनाै  धर्मकांटा मा 

पै ओही अँहणय   खातिर पसंघा हेर ल्या । । 

हेमराज हंस

नंगदांय= विधि विरूद्ध एवं अशिष्ट व्यवहार।

अँहणा = एक बर्तन के नाप का दूसरा बर्तन,

पसंघा =असामान्य, अतुलनीय,

 हेर ल्या=  खोजिये ,तलाशिये  

सोमवार, 1 अप्रैल 2024

उनहिन का पट्टा बना है। BAGHELI KAVITA

हर जांघा   उनहिन  का   पट्टा बना है। 
औ   हमरे  खातिर    सिंगट्टा  बना है।। 

कुआं के पाट मा जाके देख्या तू कबहूँ
पाथर   मा   रसरी   का  घट्टा  बना है।।
 
उनहिन के खातिर ही रेशम अउ मलमल 
हमरे  निता  केबल  लठ्ठा   बना    है। । 

उइ चाह भले दिन भर टपकाये लार बागैं  
वा गोमा बना  लइस  ता हले चठ्ठा बना है।।  

कबहूं ता हमरिव समय बहुरी निकहा 
लगाये  अड़ाउसा  या  पट्ठा  बना  है। । 

अनर्गल करैं का उइ टोकिन ही जब से 
तबहिन   से    संबंध   खट्टा   बना   है।।   

पीरा  का  अपने  गुहे  'हंस'  बइठ  हें 
भितर गुल्ल धंधकत एक भट्ठा बना है।। 
हेमराज हंस  
  
 

शुक्रवार, 22 मार्च 2024

हमरे खलीसा मा पइसा नहीं रहा।

हमरे खलीसा मा पइसा नहीं रहा।
येसे आदर अपना के जइसा नहीं रहा।।
बब्बा हें चउआन चकाचउध देख के
कहिन कि समय फूहर अइसा नहीं रहा।।
क्वामर कलाई गोरी कै तउ चूरी चटकिगै
हमरे जनम दिन का सतइसा नहीं रहा।।
फलानिया तारा दइके मइके चली गै
जबकी हमार कउनव खोड़इसा नहीं रहा। ।
लाजा ढीठी राम रामउहल ता होथी
पै हंस का ठिकाना रहइसा नहीं रहा। ।
हेमराज हंस