बुधवार, 27 नवंबर 2019

मतदान

जनता के हाथे हबय लोकतंत्र का मान। 
चला चली सब जन करी सौ प्रतिशत मतदान।। 
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रहा गरीबन से सदा बोटन का बेउहार। 
दूबर का एकादशी मोटन का तेउहार।। 
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अबै गरीबन के लगी टप टप अंसुअन धार। 
अइसा मा कइसा लिखी पायल कै झंकार ।।
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कत्ती घिनही लग रही राजनीति कै चाल।
कबौ उखाड़ै बार वा कबौं उधेरै खाल।। 

मंगलवार, 26 नवंबर 2019

फलनिया

जबसे तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा। 
तब से धकपक करय करेजबा औ मन नहि आय चेत मा।। 

महकैं लाग मेड़ पगडंडी गुलमेंहदी औ रेउजा।
चंचल मन का धौं काहे य हिदय लेय उपरउझा।।
रामौ सत्त कही हम तोहसे खोट न कउनौ नेत मा। 

पहिल दउगरा के भुंइ घांई गमकै उनखर देह। 
उपरंगी उंई पीसैं दांत पै भितर गुल्ल है नेह।। 
मारे लाज के लाल गाल जस पहिलय चुम्मा लेत मा। 

वा गसान कै मेड़ फलनिया लागै बड़ी उरायल।
बइर  खात मा जहा गिरी तै छमछम बाजत पायल।। 
सामर मुंहिआ अइसा लागै जइसा धान गलेथ मा। 

बोली लगय तोहार फलनिया लोकगीत अस मीठ। 
सहजभोर छोहगर य रूप मा लग न जाय कहुं डींठ।।
बड़ी पिआर लगा तू हमका हमरै ओरहन देत मा। 
जब से तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा।। 

अबहूं नही व बिसरै घटबा दउरी धोमन चाउर।।
अउ  मूडे़ का जूड़ा लागै जइसा खेत मा छाहुर।।।
घटै बढ़ै धड़कन का रकबा तापमान जस रेत मा। 
जब से तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा।। 

लगै गाल का तिला फलनिया जइसा होय डिठउरा।
पै चम्पा के फूल के नियरे हिरकै कबौं न भउरा।।
काहू के नैनन का दोहपन लग न जाय कहुं सेंत मा। 
जब से तोहका दिख्यन फलनिया भाजी खोटत खेत मा।। 

🌻🌻🌻🌻@हेमराज हंस भेड़ा मैहर 


शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

धरा रह गया ज्ञान

लेखन जब करने लगा कागद लहूलुहान।

ब्रह्म शब्द तक रो पड़ा धरा रह गया ज्ञान।।

बाल दिबस

पन्नी बीनत बीत गै ज्याखर उमिर किसोर। 
ओखे दुअरै कब अइ बाल दिबस कै भोर।। 
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जे कबहूं जानिस नही पोथी अउर सलेंट। 
बूटन मा पालिस किहिस होटल घसिस पलेट।। 
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हिंआ ब्यबस्था खाय गै पंजीरी औ खीर। 
गभुआरन के भाग मा बदी कुपोसित पीर।। 
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दरबारी जेही कहै बोटहाई मा नात। 
पै कबहूं देखिन नही वाखर दुधिया दांत।। 
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हबैकुपोसित देस मा जेखर ल्यादा घींच। 
ओ! बालदिबस फुरसत मिलै ता उनहूं का सींच।। 

सोमवार, 11 नवंबर 2019

अयोध्या

राजनीति जेहि रही घंघोई। रामा हो रामा 
ओही थीर कइ  दिहिन गंगोई।। रामा हो रामा 
 सांपौ मरिगा टूट न लाठी। 
पै कुछ जन कूदैं जस आंटी।। 
छूटि गै सांड़न कै चलौना। रामा हो रामा 

शनिवार, 2 नवंबर 2019

ओही दिहा न वोट

बिना धनीधोरी का है हेन निरधन अउर गरीब। चाहे ज्याखर राज होय पै बदला नही नसीब।। झउआ  भर चलि रहीं योजना पै ओखे कउन लेखा मा। 
गरीबन का है नाव नही पबित्र गरीबी रेखा मा।। 
चह जउन  जात हो गरीब पै सब कै समिस्या एक ही। 
सबके आँसू अंतस पीरा केर तपिस्या एक ही।। 
राजनीत सब दिन चाटिस ही पूंजीपति के तरबा। 
औ गरीब के घर का लाइस अपनेन 🏡 का क्वरबा।। 
राजनीत का लखा कपट छल की ही केत्ती सूध। 
हमरे घर मा दारू बांट्य अपने घर मा दूध।। 
पी पी दूध भै राजनीत  य द्याखा केत्ती मोट।  
हंस कहैं जे दारू बांट्य ओही दिहा न बोट।। 
             हेमराज हंस भेड़ा 

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2019

भाई दुइज

बन गै दुइज लोलार

बम चका चक

गाँव गाँव मा चलि रहा बम चका चक बम। 
हम ता दादू छान लिहन अब तुहूं लगाबा दम।। 
गाँव गाँव मदिरा बिकै दबा शहर के पार। 
कउने सब्दन मा करी अपना का आभार।।