गुरुवार, 23 जनवरी 2020

पापी लुच्चा तै पाक 

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ओ पापी लुच्‍चा तैं पाक तोही नही आबै लाज,
जउन साज साज घुसपइठ तैं करउते हे।
लगथै कि भूलि गये गिनती हिजड़ी सेना केर,
पुनि के तै वाखर जन संख्‍या गिनबउते हे॥
तोरे इतिहास माही नही कुछु रास भांस ,
हमरे भूंगोल माही पीठ तैं दतउते हे।
अइहे जो तैं कश्‍मीर सेना डारी सीना चीर,
दुइ दारी त देखि चुके पुनि अजमउते हे॥


भारत के मांटी केर वीरता कै परिपाटी,
बांच ले पुरान चाह नये इतिहास का।
भारत के मांटी माही हें जवान वीर शेर,
हेर हेर बीन ल्‍याहैं धरती अक्‍काश का॥
मुंह देखी मेलजोल पीठ पीछ बैर मोल,
तोर दोगली य चाल दुअरा विनाश का।
अरे दीदी जो पिआये दूध करदे एलान जुद्व,
जिंदय मां बनबा ले कब्र अपने लहास का॥


हिमालय से ज्‍वालामुखी फूट के निकर परी,
सह पइहे आंच तै न हिन्‍दुस्‍तानी वीर के।
वा दारी त दुर्गा रहीं य दारी हें महाकाल,
भुट्‌टो अस होइ हाल तोरव त अखीर के॥
रे ढीठ नीच मान बात कर न तै उत्‍पात,
भारतीय भूंगोल मांही सरहद तीर के।
जब तक सुरिज औ चन्‍दा हें अकास मांही,
धरती मां लहरइ तिरंगा कश्‍मीर के ॥
     @हेमराज हंस भेड़ा 
          9575287490 

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