हमरे गांव मा
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जब से चुनाव बिख बोगा भाई हमरे गाँव मा।
तब से आबै रोज दरोगा भाई हमरे गाँव मा।।
लगे पढ़ामै जब से गुंडा क ख ग घ अंगा।
कहिन गुरू जी जान बची ता हमूं नहायन गंगा। ।
द्रोण ढाहन आंसू रो गा भाई हमरे गाँव मा।
लमही बाली मउसी बपुरी न्याव निता फिफिआय।
दांते रोटी काट काट अलगू जुम्मन बिदुराय। ।
ईसुर पंचाइत का सो गा भाई हमरे गाँव मा।
खूब मोटान ही फाइल खाके दीन निराश्रित पेनसन।
चार उपास करे घर माही बुधिआ बइठ ही अनसन। ।
भूंख दाबिस ओखर घोघा भाई हमरे गाँव मा।
जब जब पहुंच्यन रपट लिखामै पहिले पंहुचा फून।
नेता के चमचा के सार का का कइ लेइ कानून। ।
बइठे सोच्यै बपुरा जोगा भाई हमरे गांव मा।
भुइ पूजा कइ कहि गें उइ की हेइन बनी इदारा।
ताके ताके थक गईं आँखी हिरके नहीं दुबारा। ।
पुनि के अइहै बजाबत चोगा भाई हमरे गांव मा
होइगें सत्तर साल हंस का डारत डारत बोट।
तउ लोक है दूबर पातर तंत्र भा खासा मोट। ।
तउ सादर करी तरोगा भाई हमरे गाँव मा। ।
हेमराज हंस भेड़ा
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