शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

              हमरे गांव मा 


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जब से चुनाव बिख बोगा  भाई हमरे गाँव मा। 
तब से आबै रोज दरोगा भाई हमरे गाँव मा।। 

लगे पढ़ामै जब से गुंडा क ख ग घ अंगा। 
कहिन गुरू जी जान बची ता हमूं नहायन गंगा। । 
द्रोण ढाहन आंसू रो गा  भाई हमरे गाँव  मा। 

लमही बाली मउसी बपुरी न्याव निता फिफिआय। 
दांते रोटी काट काट अलगू जुम्मन बिदुराय। । 
ईसुर पंचाइत  का सो गा  भाई हमरे गाँव  मा। 

खूब मोटान ही फाइल खाके दीन निराश्रित पेनसन। 
चार उपास करे घर माही बुधिआ बइठ ही अनसन। । 
भूंख दाबिस ओखर घोघा भाई हमरे गाँव  मा। 

जब जब पहुंच्यन रपट लिखामै  पहिले पंहुचा फून। 
नेता के चमचा के सार का का कइ  लेइ कानून। । 
बइठे सोच्यै बपुरा जोगा भाई हमरे गांव मा। 

भुइ पूजा कइ  कहि गें उइ की हेइन बनी इदारा। 
ताके ताके  थक गईं आँखी  हिरके नहीं दुबारा। । 
पुनि के अइहै बजाबत चोगा भाई हमरे गांव मा 

होइगें सत्तर साल हंस का डारत डारत बोट। 
तउ लोक है दूबर पातर तंत्र भा  खासा मोट। । 
तउ सादर करी  तरोगा भाई हमरे गाँव  मा। । 

हेमराज हंस भेड़ा  

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