रविवार, 12 जनवरी 2020

तुम गरफांसी अस

तुम गरफांसी अस 


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हम तोहरे गर का हार  बन्यन पै तुम गरफांसी अस। 
तुम राहु केतू बन बइठया  औ हम पुनमासी अस। । 

आज सकारेन  ता स्वाती का किहे  रह्या उद्घाटन। 
अबै परी  हैं फूल की पखुरी औ फीता का काटन। । 
पानी  खातिर  करै  पपीहा  जुद्ध  पलासी  अस  । 

लोकतंत्र के बिरबा माही फर ता लाग अकूत। 
तुहिन बड्यारा बन के झार्या हमी बताया भूत। । 
लिहा कमीशन हर डेगाल  से हमी  अट्ठासी अस। 

पच्छिमहाई  करैं लाग जब पुरबइया का मान। 
मंच मा बइठे गांव कै तिजिया देख देख चउआन। । 
सोचय  केतू  सभ्भ  लगा  थी   देव दासी अस। 

जुगन बीति गें देस के खातिर बिन्ध्य का निहुरे निहुरे 
जब से ठग के गें अगस्त मुनि अजुअव  तक न बहुरे। । 
तुमहूँ  लूट  ल्या  जिव  भर  पै  वा  सन्नासी अस। 

कह्या नहा तुम दूध से दद्दी भइंस दया बेथन  कै। 
मूड़े काही तेल नहीं औ मनुष  मुगउरय  ठनकै। । 
उई  बांटत फिरैं पवाई दारी हम बनबासी अस। 

कुछ ठेकेदारन का मिलि गा देस भक्ति का ठेका। 
कुछ पलुहामै बंस बाद औ गाँधी बाद गा फेंका। । 
आबा भ्यांटकमार करी हंम  मगहर  बासी अस। 

             @ हेमराज हंस भेड़ा 

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