तुम गरफांसी अस
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हम तोहरे गर का हार बन्यन पै तुम गरफांसी अस।
तुम राहु केतू बन बइठया औ हम पुनमासी अस। ।
आज सकारेन ता स्वाती का किहे रह्या उद्घाटन।
अबै परी हैं फूल की पखुरी औ फीता का काटन। ।
पानी खातिर करै पपीहा जुद्ध पलासी अस ।
लोकतंत्र के बिरबा माही फर ता लाग अकूत।
तुहिन बड्यारा बन के झार्या हमी बताया भूत। ।
लिहा कमीशन हर डेगाल से हमी अट्ठासी अस।
पच्छिमहाई करैं लाग जब पुरबइया का मान।
मंच मा बइठे गांव कै तिजिया देख देख चउआन। ।
सोचय केतू सभ्भ लगा थी देव दासी अस।
जुगन बीति गें देस के खातिर बिन्ध्य का निहुरे निहुरे
जब से ठग के गें अगस्त मुनि अजुअव तक न बहुरे। ।
तुमहूँ लूट ल्या जिव भर पै वा सन्नासी अस।
कह्या नहा तुम दूध से दद्दी भइंस दया बेथन कै।
मूड़े काही तेल नहीं औ मनुष मुगउरय ठनकै। ।
उई बांटत फिरैं पवाई दारी हम बनबासी अस।
कुछ ठेकेदारन का मिलि गा देस भक्ति का ठेका।
कुछ पलुहामै बंस बाद औ गाँधी बाद गा फेंका। ।
आबा भ्यांटकमार करी हंम मगहर बासी अस।
@ हेमराज हंस भेड़ा
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