दरबारन मा चर्चा है
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दरबारन मा चरचा ही कम्प्यूटर इंटरनेट के ।
खरिहानन मा मरै किसनमा फंदा गरे लपेट के। ।
केत्तव निकहा बीज होय पै पनपै नहीं छह्याला मा।
उनही दइ द्या ठयाव सुरिज का दउरैं न सरसेट के। ।
करब टंटपाली अउ टोरइली कब का उइ ता भुलि चुकें
बपुरे ध्रुब प्रहलाद हें दूरी पोथी अउर सलेट के। ।
अइसा घिनही आँधी आई बिथरि गा सब भाई चारा।
पुरखा जेही बड़े जतन से सउपिन रहा सहेज के। ।
मंदिर मसजिद से समाज के मिल्लस कै न आस करा
धरम के ठेकेदारन का ई आही साधन पेट के। ।
प्रेमचंद के होरी का उइ उगरी धरे बताऊथें
द्याखा भइलो ताज महल औ चित्र इंडिया गेट के। ।
@हेमराज हंस भेड़ा
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