मंगलवार, 29 सितंबर 2015

लगा थै पुनि के चुनाव आमै बाला है। ।

आज काल्ह बिकत खूब माली का माला है। 

'हंस 'कहा थें दार मा क़ुछ काला है। । 

उइ बड़े शील सोहबत से बोला थें 

लगा थै पुनि के चुनाव आमै बाला है। । 

हेमराज हंस 

रविवार, 20 सितंबर 2015

तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। ।

जब समाज में अराजकता होती है। 
तब जनता अपनी स्वयं प्रवक्ता होती है। । 
सिंघासन की बुनियादें हिलने लगती हैं 
पश्चाताप के बियावान  में सत्ता सोती है। । 
हेमराज हंस

जनता मिल्लस प्रेम के सपना देखा थी। । हेमराज हंस

मुक्तक 

जनता सब उनखर करदसना देखा थी। 
आपन खोतड़ी  उनखर गोफना देखा थी। । 
उइ नफरत के बीज भरे हें  पेटे  मा 
जनता मिल्लस प्रेम के सपना देखा थी। । 
हेमराज हंस

गुरुवार, 17 सितंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : गमकै बासमती अस चाउर। ।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : गमकै बासमती अस चाउर। ।: मुक्तक  हाँथे मेहदी पाँव महाउर।  गमकै बासमती अस चाउर। ।  ओंठे माही लगी लिपस्टिक  नैना देख भें बाउर बाउर। ।  हेमराज हंस 

गमकै बासमती अस चाउर। ।

मुक्तक 

हाँथे मेहदी पाँव महाउर। 
गमकै बासमती अस चाउर। । 
ओंठे माही लगी लिपस्टिक 
नैना देख भें बाउर बाउर। । 
हेमराज हंस  

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।: दोहा  सुक्ख संच औ शांति का होय अब सिरी गनेश।  हे !गनपति मोरे देश मा दालिद बचै न शेष। ।  हेमराज हंस

सोमवार, 14 सितंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लागै सुआसिन नार य हिन्दी।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : लागै सुआसिन नार य हिन्दी।: हिन्दी  वीर कै गाँथा लगी जो रचैं औ 'जगनिक 'के आल्हा का गायगै हिन्दी।  कब्बौ बनी 'भूखन 'कै बानी त वीरन का पानी चढ़ाय गै ...

लागै सुआसिन नार य हिन्दी।

हिन्दी 

वीर कै गाँथा लगी जो रचैं औ 'जगनिक 'के आल्हा का गायगै हिन्दी। 
कब्बौ बनी 'भूखन 'कै बानी त वीरन का पानी चढ़ाय गै हिन्दी। ।
 हाथे परी 'सतसय्या 'के ता वा 'सागर मा गागर 'भराय गै हिन्दी। 
बुढ़की लगाइस 'सूर 'के सागर ता ममता मया  मा नहाय गै हिन्दी। । 

'रसखान 'के क्वामर क्वामर छन्द औ मीरा के पद काही ढार गै हिन्दी। 
भक्ति के रंग मा लागी रंगै तब भाषा लोलार पिआर भै हिन्दी। । 
बीजक साखी कबीर के व्यंग्य पाखण्डिन का फटकार गै हिन्दी।
 औ मासियानी मा तुलसी के आई ता 'मानस 'अगम दहार भै हिन्दी। । 

हिंठै लगी जब 'पंत 'के गाँव ता केत्ती लगै सुकुमार य हिन्दी। 
हरिचंद ,महावीर ,हजारी ,के त्याग से पुष्ट बनी दिढ़वार य हिन्दी। ।
निराला ,नागार्जुन ,के लेखनी मा भै पीरा कै भ्याटकमार य हिन्दी। 
रात जगी जब ''मुंशी ''के साथ ता हरिया का भै भिनसार य हिन्दी। ।

भारत माता के कण्ठ कै कण्ठी औ देस कै भाषा लोलार  हिन्दी। 
लोक कै   बोली   भाषा सकेल के लागै विंध्य पहार य हिन्दी। । 
छंद ,निबंध ,कहानी,औ कविता से लागै सुआसिन नार य हिन्दी। 
अपने नबऊ रस औ गण शक्ति से कीन्हिस सोरहव सिगार य हिन्दी। । 

हेमराज हंस

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।: मुक्तक  सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।  बर्रइया के छतना  मा लाख नही निकरै। ।  जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से  औ नेतन के मुँह से भाख...

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।

BAGHELI SAHITYA बघेली साहित्य : पै न कह्या हरामी भाई। ।: बघेली गजल  ठोंका तुहू सलामी भाई।  भले देखा थी खामी भाई। ।  केत्तव मूसर जबर होय पै  वमै लगा थी सामी भाई। ।  सत्तर साल के लोक तंत्...

सोमवार, 7 सितंबर 2015

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।: मुक्तक  सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।  बर्रइया के छतना  मा लाख नही निकरै। ।  जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से  औ नेतन के मुँह से भाख...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का  जलसा देखा। बिन बाती का  कलशा  दे...

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : मुक्तक राजनीत का  जलसा देखा। बिन बाती का  कलशा  दे...: मुक्तक  राजनीत का  जलसा देखा।  बिन बाती का  कलशा  देखा। ।  ''डेंगू'' का उपचार कइ रहा  मन मा सुलगत करसा देखा   हेम...

मुक्तक 

राजनीत का  जलसा देखा। 
बिन बाती का  कलशा  देखा। । 
''डेंगू'' का उपचार कइ रहा 
मन मा सुलगत करसा देखा  
हेमराज हंस 

सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै।

मुक्तक 

सलेण्डर के आगी मा राख नही निकरै। 
बर्रइया के छतना  मा लाख नही निकरै। । 
जनता कराहा थी भ्रष्टाचार से 
औ नेतन के मुँह से भाख नही निकरै। । 
हेमराज हंस  

गुरुवार, 3 सितंबर 2015

 बात ये  मायने रखती है की दृष्टि पुजारी सी है य शिकारी सी 

महाभारत मा शिखण्डी से काम परा थै। ।

मुक्तक 

राज पथ का पगडण्डिव से  काम परा थै। 
महाभारत मा शिखण्डिव  से काम परा थै। । 
तुम हमरे टटबा कै तउहीनी न करा 
गाँव मा बोट के मंडीव  से काम परा  थै। । 
हेमराज हंस   

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।

बघेली साहित्यbagheli sahitya हेमराज हंस : hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।: मुक्तक  कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।  जनता कुरसी कै चाकर नही होय।। उई बहुरूपियन का जाके बता द्या  समय के केमार मा सॉकर नही हो...

हेमराज हंस

राजनीत के धन्धा मा फायदा रहा थै। 
मूंठी मा कानून कायदा रहा थै। । 

हेमराज हंस 

hemraj hans कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय।

मुक्तक 

कुम्हार के माटी मा कांकर नही होय। 
जनता कुरसी कै चाकर नही होय।।
उई बहुरूपियन का जाके बता द्या 
समय के केमार मा सॉकर नही होय। । 
हेमराज हंस