शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020

हमरे बघेली का खतरा नहि आय

मरे बघेली का खतरा नहि आय। 
वमै कउनौ मेर का अतरा नहि आय।। 
बरेदी के गउंखर से मालिक के बखरी तक
कउनौ बिचइकी का पतरा नहि आय।। 

शुक्रवार, 7 फ़रवरी 2020

तोखार अस जनाथी

उनखर भाषा सखार अस जनाथी। 
कउनव करतूती तोखार अस जनाथी।। 
जब से हबा मा माहुर घोरिस ही राजनीती। 
जब से भाईचारा का बोखार अस जनाथी।। 
@हेमराज हंस भेड़ा मैहर 

बुधवार, 5 फ़रवरी 2020

रोटी के निता

आम जनता जूझाथी रोटी के निता। 
औ उंई लड़ि रहे हें डबल रोटी के निता।। 
दिन मा तीन बेर उंई ओन्हा बदला थें
बपुरी जनता तरसा थी लगोटी के निता।। 

शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

संदेसा लइ आबा मधु मास।

मधुमास 


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संदेसा लइ आबा मधु मास। 

माघ तिला तिल बढ़ै फागुन 
घाम लगै जब कुन कुन। 
बहै बयार बसंती गमकत 
भमरा गाबै गुनगुन। । 
फुले गेंदा जुही चमेली 
राई अउर पलास। 

अंगड़ाई लीन्हिस अमराई
 नउती कड़बा करहा। 
आरव पाइस जब होरी का 
बाजै ढोल पहरहा। । 
ओढ़ पियरिया खेतबा लागै 
जस कवित्त अनुप्रास। 


              हमरे गांव मा 


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जब से चुनाव बिख बोगा  भाई हमरे गाँव मा। 
तब से आबै रोज दरोगा भाई हमरे गाँव मा।। 

लगे पढ़ामै जब से गुंडा क ख ग घ अंगा। 
कहिन गुरू जी जान बची ता हमूं नहायन गंगा। । 
द्रोण ढाहन आंसू रो गा  भाई हमरे गाँव  मा। 

लमही बाली मउसी बपुरी न्याव निता फिफिआय। 
दांते रोटी काट काट अलगू जुम्मन बिदुराय। । 
ईसुर पंचाइत  का सो गा  भाई हमरे गाँव  मा। 

खूब मोटान ही फाइल खाके दीन निराश्रित पेनसन। 
चार उपास करे घर माही बुधिआ बइठ ही अनसन। । 
भूंख दाबिस ओखर घोघा भाई हमरे गाँव  मा। 

जब जब पहुंच्यन रपट लिखामै  पहिले पंहुचा फून। 
नेता के चमचा के सार का का कइ  लेइ कानून। । 
बइठे सोच्यै बपुरा जोगा भाई हमरे गांव मा। 

भुइ पूजा कइ  कहि गें उइ की हेइन बनी इदारा। 
ताके ताके  थक गईं आँखी  हिरके नहीं दुबारा। । 
पुनि के अइहै बजाबत चोगा भाई हमरे गांव मा 

होइगें सत्तर साल हंस का डारत डारत बोट। 
तउ लोक है दूबर पातर तंत्र भा  खासा मोट। । 
तउ सादर करी  तरोगा भाई हमरे गाँव  मा। । 

हेमराज हंस भेड़ा  

गुरुवार, 23 जनवरी 2020

पापी लुच्चा तै पाक 

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ओ पापी लुच्‍चा तैं पाक तोही नही आबै लाज,
जउन साज साज घुसपइठ तैं करउते हे।
लगथै कि भूलि गये गिनती हिजड़ी सेना केर,
पुनि के तै वाखर जन संख्‍या गिनबउते हे॥
तोरे इतिहास माही नही कुछु रास भांस ,
हमरे भूंगोल माही पीठ तैं दतउते हे।
अइहे जो तैं कश्‍मीर सेना डारी सीना चीर,
दुइ दारी त देखि चुके पुनि अजमउते हे॥


भारत के मांटी केर वीरता कै परिपाटी,
बांच ले पुरान चाह नये इतिहास का।
भारत के मांटी माही हें जवान वीर शेर,
हेर हेर बीन ल्‍याहैं धरती अक्‍काश का॥
मुंह देखी मेलजोल पीठ पीछ बैर मोल,
तोर दोगली य चाल दुअरा विनाश का।
अरे दीदी जो पिआये दूध करदे एलान जुद्व,
जिंदय मां बनबा ले कब्र अपने लहास का॥


हिमालय से ज्‍वालामुखी फूट के निकर परी,
सह पइहे आंच तै न हिन्‍दुस्‍तानी वीर के।
वा दारी त दुर्गा रहीं य दारी हें महाकाल,
भुट्‌टो अस होइ हाल तोरव त अखीर के॥
रे ढीठ नीच मान बात कर न तै उत्‍पात,
भारतीय भूंगोल मांही सरहद तीर के।
जब तक सुरिज औ चन्‍दा हें अकास मांही,
धरती मां लहरइ तिरंगा कश्‍मीर के ॥
     @हेमराज हंस भेड़ा 
          9575287490 

         सुन इस्लामबाद 

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अब दिल्‍ली ललकार उची,सुन रे इस्‍लामाबाद।
कोलिया के झगड़ा मां आपन,बेंच न डारे बांध॥

नीक के आखर आंखर पढ,इतिहास पोथन्‍ना खोल।
हमहिन आह्‌यन वहै वंश,जे बदल दइस भूंगोल॥
बंग्‍लादेश के बदला बाली, पूर न होई साध।
अब दिल्‍ली...............................................

हम तोही मउसी अस लड़िका,अपने जिव मां चाही।
हमरेन घर मां सेंध मार तैं, करते हये तबाही॥
बे कसूर के हत्‍या का तै,कहते हये ‘जेहाद'॥
अब दिल्‍ली.......................................................

हमरे देस मां करै उपद्रव, तोर गुप्‍तचर खुपिया।
हांथ मिलामैं का रचते हे,तै नाटक बहुरूपिया॥
एक कइ उत्‍पात कराउते,एक कइ संवाद॥
अब दिल्‍ली..........................................

हमरे देस कै पोल बतामै,मीरजफर के नाती।
तोरे भिरूहाये मां बनिगें महतारी के घाती॥
महावीर अब्‍दुल हमीद कै हमी न बिसरै याद।
अब दिल्‍ली..........................................

खूनी आतंकवादीन का तै अपने घरे लुकाउते।
औ उपर से हमहीं सोला दूनी आठ पढाउते॥
भारत के हर गाँव गली मां उूधम सिंह कै मांद।

अब दिल्‍ली ललकार उची सुन रे इस्‍लामा बाद॥
कोलिया के झगड़ा मां अबकी बिक जइ सगला बांध।
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मंगलवार, 21 जनवरी 2020

              देस गीत

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आबा सब जन करी बंदना  या आजाद अकास कै। 
करी आरती भारतमाता  कै   चिंतन  इतिहास कै। । 

नमन करी हम बीर शिबा अउ पृथ्बीराज चौहान का। 
छत्रसाल के देस भक्ति का अउर अशोक महान का। । 

बंदन हम करि रह्यान आजु संतामन के चिनगारी का। 
पै न भूल्या भारत बासिव मीर ज़फ़र गद्दारी का। । 

आबा हम अभिनन्दन गाई देस भक्ति के रंग का। 
मेरठ के मङ्गल पांडे का आज़ादी के  जंग का। । 

झाँसी के लछमी बाई का औ झलकारी दासी का। 
आबा सुमिरी हम बिस्मिल का भगत सिंह के फांसी का। । 

ऊधम सिंह असफाक औ लहड़ी गरफन्दा का चूम गें। 
बंदेमातरम गाय -गाय के फांसी माही झूम गें। । 

औ आज़ाद आज़ादी खातिर हबन किहिन तै प्रान का। 
धरती काँपी तै प्रयाग कै देखि के वा बलिदान का। । 

आबा हमहूँ देखी केचुर कायर डायर नाग का। 
डस लीन्हिस जे अमृतसर के जालियांबाला बाग का। । 

आबा भाई नमन करी हम बाल पाल् औ लाल का। 
काट दिहिन जे अंगरेजन के कपट गुलामी जाल का। । 

आबा अच्छत फूल चढ़ाई औ सुधि करी सुभाष  कै। 
करी आरती भारतमाता कै चिंतन इतिहास कै। । 

आज़ादी के हबन कुण्ड मा  हूम करिन जे प्रान का। 
बीर पदमधर रणमत सिंह के सुमिरी हम बलिदान का। । 

आबा नमन करी नेहरू का भोगिन तै जे जेल का। 
भारत माता गदगद होइगै पाके पूत पटेल का। । 

भारत छोड़ो आन्दोलन कै चारिव कइ अबाज उची। 
औ सुराज के सुभ सकार कै डम डम डमरू बाज उची। । 

रोक न पाये अंग्रेजबा जब आज़ादी के आंधी का। 
भारत सोने के अच्छर मा नाव लिखे है गाँधी का। । 

सत्य अहिंसा के बल बापू आपन देस सहेज लिहिन। 
सन उन्नीस सै सैतालिस मा अंग्रेजबन का भेज दिहिन। । 

पंद्रह अगस्त सन सैतालिस का जन गण मन हरसाय गा। 
हंस  'तिरंगा'   भारत  माता  के   अँगना  फहराय   गा। ।  
               @हेमराज हंस भेड़ा