रविवार, 5 मार्च 2023

फागुन

चलै मस्त बयार पियार लगै महकै महुआ अस देह के फागुन
राई निकरी पहिरे पियरी तब सुदिन से्ंधउरा के नेह के फागुन।।
जब काजर से मेंहदी बोलियान ता घूंघट नैन मछेह के फागुन।
औ लजबंतिव ढ़़ीठ लगै जब रंग नहाय सनेह के फागुन। ।
आसव करहा नउती कड़बा ता गामैं लगा अमराई मा फागुन।
हांथी के चाल चलै लजवंती ता महकै हाथ कलाई मा फागुन। ।
गाल मा फागुन चाल मा फागुन औ गमकत पुरबाई मा फागुन।
देस निता जे शहीद भें बीर त भारत के तरुनाई मा फागुन। ।
मस्ती मा फागुन बस्ती मा फागुन मिल्लस बाली गिरस्ती मा फागुन।
दीन दुखी के मढ़इया से लइके कोठी हवेली औ हस्ती मा फागुन। ।
रंग मा फागुन भंग मा फागुन उमंग उराव के कस्ती मा फागुन।
य महगाई मा होरी परै कुछ आबै सह्वाल औ सस्ती मा फागुन। ।
 
जिनखे घरै न बरै चुल्हबा, है उनखे निता उपचीर या फागुन। 
ढोल मजीरा नगरिया बजाय, करै मन कदाइला का थीर या फागुन। ।  
मिल्लस केर अबीर लगय जब देस जनाय कबीर या फागुन। 
प्रेम के रंग मा देस रंगी जब  , उन्नत देस का नीर या फागुन। ।  
 
सखी ! जबसे बसें परदेस पिआ तब से मन रोज उबान रहै। 
औ फागुन आबा अकारथ ता तन एकव न ग्यान गुमान रहै।।  
रंग का नेह लगै जब देह ता मन अनमन फ़गुआन रहै।
उइ होतें जो नेरे इहै कहतें ससुरार रहय सडुआन रहै। । 
 
बुढ़ऊ ता रंग गुलेल रचें हय उनखर भाग अनुराग ता देखा। 
भर पिचकारी चलाबत सारी औ जीजा से खेलत फ़ाग ता देखा। । 
औ गाले अबीर मल्हय  सरहज ननदोई बना है काग ता देखा। 
भारत कै हमरे परिपाटी औ रिस्ता नाता कै पाग ता देखा। । 
@हेमराज हंस भेड़ा मइहर  

 

 
 
 
 
 

शनिवार, 4 मार्च 2023

औ मइहर के भाग मा बोलब बदा कबीर

 मऊगंज बनिगा  जिला उड़ै गुलाल अबीर ।
औ मइहर के भाग मा बोलब बदा कबीर। । 

केतू अउर निहुरी अगस्त

केतू  अउर निहुरी अगस्त लहकै लाग है कन्हिहा। 
निहुरे निहुरे बिंध्य का हमरे जकड लइस ही पनिहा। । 
राबन   मरा   बधाई   हमरिव   मुनिबर  अपना  का 
पै देस के खातिर हमरे त्याग का केतू दिन मा गनिहा। । 
 



जिला बनिगा मऊगंज।

 बधाई जिला बनिगा  मऊगंज।
अब बिकास का खिली कंज। ।
जिव निछोह के किहिस तरोगा
तउ  मइहर  का  रहिगै  रंझ। ।
             हेमराज हंस

जबसे हमरे बिंध्य कै शान चली गै।

जबसे   हमरे  बिंध्य  कै  शान  चली गै। 
आने   के हाथ  मा कमान  चली   गै।। 
हमार कुअंर साहेब परलोक का सिधारें
तब से हमार रास्टीय पहिचान चली गै।। 

 

 

चला फलानिया दारू बेंची।

चला फलानिया दारू बेंची। 
नदिया  खोदी  बारू  बेंची। । 
हरिशचन्द के देस के आह्यन 
लड़िका औ मेहरारू बेंची। । 
@हेमराज हंस भेड़ा मइहर 

सोमवार, 27 फ़रवरी 2023

निरहस आय की बोली दादू

निरहस  आय  की  बोली  दादू। 
या  रहस्स   को   खोली   दादू।।
 
काहू   कै  ता  नींद  उचि ट गय 
कोउ सोबइ खाय के गोली दादू। ।
 
जेखे   प्रेम  कै  फोटो   लये  हा 
वाखर  भरि  गय  ओली   दादू। ।
 
कुछ दिन मा सब भूल बिसर जइ
जनता    बपुरी     भोली   दादू। ।
 
अम्मा   टी बी   माही   मरि  गय 
अब   को  मूड़  थथोली  दादू। ।
 
हंस   से  मउन   नहीं   रहबररै 
हुकुम   होय   ता   बोली  दादू। ।  
@हेमराज हंस 9575287490 

रविवार, 26 फ़रवरी 2023

हम भारत बासी हयन, उनखर रिनी कृतज्ञ


 जय जय अमर सहीद कै, आजादी के मूल।
अपना का अर्पित करी,आंखर आंखर फूल।। 

  
जिनखे  माथे  पूर भा,   आजादी   का   जज्ञ।
हम भारत बासी हयन, उनखर रिनी कृतज्ञ।।

शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

थइली ही उनखे निता, रइली हमरे नाम

थइली  ही  उनखे निता, रइली  हमरे नाम।
कइसा हीसा बाँट के, दीन्ह्या हमही राम।
 
चह जेखर जलसा रहै, मिलैं गरीबय थोक। 
हर रइली  के बाद मा, आँसू पीरा सोक।  
   
 
  

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2023

'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के

 

'नल तरंग 'बजाउथें बजबइया झांझ के
देस भक्ति चढ़ा थी फलाने का साँझ के। ।
उनही ईमानदार कै उपाधि दीन गै
जे आँधर बरदा बेंच दइन काजर आंज के। ।
''वीर पदमधर ' 'का य पीढ़ी नही जानै
ओखे बस्ता म हें किस्सा हीर राँझ के।।
पूंछी अपना बपुरी से कि कइसा जी रही
जेही कोऊ गारी दइस होय बाँझ के। ।
अइसा ही अउलाद की कहतै नहीं बनै
महतारी बाप घर मा लुकें मारे लाज के।।
हंस य कवित्त भर से काम न चली
चरित्त का चमकाबा पहिले माँज माँज के। ।
हेमराज हंस ---