मंगलवार, 4 अक्तूबर 2022

11राम 11 सनातन

 जय गनेस सब जन कही जय जय उमा महेश। 
सिउ जी के परिवार,  अस  सुखी  रहय य देस।।
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 राम कबिन के  शब्द हैं ,राम संत का ब्रम्ह। 
हुलकी काही आग हें ,औ प्रहलाद का खंभ। । 
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राम देस के प्रान औ, राम बिश्व के गर्व। 
राम ऋचा ऋगवेद कै राम यजुर्व अथर्व। । 
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राघव मरजादा दिहिन, औ माधव जी कर्म।
दुइ लीखन मा चलि रहा,सत्य सनातन धर्म।।  
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महादेव  हैं बिश्व मा, समता बादी ईश।
चह पूजैं श्री राम जू ,चह पूजै दशशीश। ।  
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 किहिस सनातन सब दिना, जन मंगल का गान।
प्राणी मा सद भावना, बिस्व केर कल्यान।।
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भिन्न भिन्न भाखा हईं ,अलग अलग है भेस।      
एक सनातन मा गुहा , पूरा भारत देस।। 
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देस भक्ति औ धरम कै, मूल भाबना एक। 
उत्तर कै गंगा करै ,दाख्खिन का अभिषेक।   
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तीर्थ हमारे देश में, हैं संस्कृति के अक्ष।
वसुधैव कुटुम्बं भावना , जिनका पावन लक्ष।।
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शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार। 
 ईश्वर को लेना पड़ा परसुराम अवतार। । 
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गाँव गाँव   बोबा   जबा  पंडा  दे  थें  हूम।
लोक धरम कै देस  मा चारिव कइती धूम।। 
 
आठैं अठमाइन चढै खेर खूंट का भोग। 
जलसा का कलसा धरे राम जनम का जोग।। 
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परयाबरनी प्रेम कै देखी भारतीय खोज। 
अमरा के छहियां करी अपना पंचे भोज।। 
 
पीपर  मा  बसदेव  जू  बधी  बरा के सूत। 
तुलसी  जू  कै  आरती  आमा मानैं पूत।। 
 
नीम बिराजैं सीतला औ जल बरुन का बास। 
परयाबरन  मा  पुस्ट  है  भारत का बिस्वास।।
 
हमरे  भारत  का  रहै  चह  कउनौ  तेउहार।
सब दिन हम पूजत रह्यन बिरबा नदी पहार। ।
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युग नायक होते नही किसी जाति में कैद। 
वे बीमार समाज के हैं शुभ चिंतक वैद। ।  
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जिधना से भृगु जी हनिंन , श्री हरि जू का लात।
लछमी जी रिसिआय के, पेल भगीं गुजरात।। 
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भारत कै पहिचान हें ,राम बुद्ध औ कृष्न।
इन माही स्वीकार नहि ,कउनव चेपक प्रश्न।
 
 
 
    
@हेमराज हंस -भेड़ा  
 

बिजय दसमी कै सादर बधाई।

अपना का बिजय दसमी कै सादर बधाई। 
जउन भीतर बइठ है वा राबन का जलाई।। 
नजर रखी पुजारी अस शिकारी अस नहीं 
येतुन मा देस समाज कै होइ जई भलाई। । 
 
जंगल बिरबा कटरिगे ,मिली कहा अब मित्र।
फेसबुक मा द्याखत रही , निल कण्ठ के चित्र। ।
 
नील  कंठ  औ शमी  मा  ,देखा  गा   देवत्व।
दसराहा का शुभ हबै ,दरसन करब  महत्त्व। ।  
                 हेमराज हंस -भेड़ा   
 

बंदेमातरं


सरग से नीक मोरे देस कै य धरती ही,
जिव से है अधिक पियार बंदेमातरं।
रूपसी के देंह से ही स्‍वारा आना सुंदर य,
आपन माटी देश कै सिंगार बंदेमातरं॥
बहै नदी कलकल पानी करै छलछल,
टेराथें पहार औ कछार बंदेमातरं।
जहां बीर बलिदानी भारत का बचामै पानी,
सूली माही टगिगे पुकार बंदेमातरं॥ 

बुधवार, 28 सितंबर 2022

नारी सूचक गालियां

नारी सूचक गालियां दिन भर देते साठ। 

वे भी सादर कर रहे दुर्गा जी का पाठ।। 

इंदिरा सुषमा  चावला, औ मेधा अस तेज।
हे ईशुर मोरे देस मा, पुन  पुन उनही भेज।। 


या लोपा  मुद्रा  गारगी , मैत्रेयी  का  देस।
जहां नारि कै ताड़ना, अत्याचार कलेस। । 


द्याखा मध्य प्रदेश मा, नारी का सम्मान।
अब महिला के हाथ मा, मदिरा केर दुकान। ।

 
राष्ट्र गान के हिदय मा, है ज्याखर अस्थान।
पुनि के चाही प्रान्त  वा, आपन विंध्य महान। । 

@HEMRAJ HANS 

हमार भेड़ा

पूरुब  मा पुरान ताल फूले हें कमल जहां 

अउर पच्छिम कइती जहां सदा नीरा सागरा। 

दक्खिन  मा राजपथ लगा थै अगस्त अस 
उत्तर मा हरा भरा  बिंध अस डोगरा। । 
 
चउकी चटकउला मा बिराजे अंजनी के लाल 
ताल   गहिरार   नबा    ताल  संतोखरा। 
 
गांव मध्ये चंडी देवी औ बिराजे भोलेबाबा 
अउर श्री गनेश जू  जे सिद्ध करैं अखरा। । 
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चउकी चटकउला मांही लागथाबै मेला जहाँ 
लुदुइआ मा  है सेबाद हुआं  लड्डू पेड़ा का।  

गांव  कै बिबेक मान जनता मा है स्वाभिमान 
अंतर वा जनाथीबै  रूख अउर रेंड़ा  का। । 
 
मेल जोल  के सुभाव केर परिपाटी हिंया
मह्काबै माटी जहां पस्गाइयत मेड़ा  का।
 
लोक रंग का उराव सब मा है एक भाव 
कवि हेमराज सौ प्रनाम करै भेड़ा  का। । 

 कवि - हेमराज हंस 




 

 

मंगलवार, 27 सितंबर 2022

बाप बताउथें।

उइ   भैसासुर  का  आपन   बाप   बताउथें।

दुर्गा मइया कै  पूजा का परल्याप बताउथें। । 

कइसा  मारी के  ही मती हे शारद मैय्या ज्ञान द्या 

अकिल के  ओछाहिल बुद्धी कै नाप बताउथें।।

 

 

 

सोमवार, 26 सितंबर 2022

पाबन मइहर धाम

गाँव नगर पूजन भजन दुर्गा जी का बास। 

कहूं राम लीला शुरू कहूं कृष्ण कै रास। । 

पाबन मइहर धाम है  सिद्ध  शारदा पीठ। 

कोउ बाहन से जा रहा कोउ  आबै हीट। ।  

HEMRAJ HANS

रविवार, 25 सितंबर 2022

मइहर

 जहां बिराजीं सारदा धन्न मइहर कै भूम।                                                                                                                 भक्तन का तांता लगा नाचत गाबत झूम।। 

जहाँ बिराजीं शारदा धन्न  मइहर का भाग। 

बंदूखै तक बन गईं नल तरङ्ग का राग।।   


                                                                                                     

माता जू किरपा किहिन बइठीं आके कंठ।                                                                                                           तब कविता गामैं लगा हेमराज अस लंठ।।


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बघेली साहित्य bagheli sahitya हेमराज हंस : आपन बोली: महतारी अस लगै मयारू घूंटी साथ पिआई। आपन बोली बानी लागय मानस कै चौपाई।।  भांसा केर जबर है रकबा बहुत बड़ा संसार।  पै अपने बोली बानी कै अंतस तक...

शनिवार, 24 सितंबर 2022

र्याज कै चिंता ही

काहू का ब्याज कै चिंता ही।
काहू का प्याज कै चिंता ही।।
करजा मा बूणे किसान का
।।र्याज कै चिंता ही