लेबल
- अटल जी
- अटलबिहारी।
- अम्मा
- आचार्य रामाधार शर्मा अनंत जी मैहर
- आदि शंकराचार्य
- कवि मैथलीशरण शुक्ल
- कवि रवि शंकर चौबे
- कविवर रामनरेश तिवारी मैहर
- कुण्डलिया
- खजुलैयां
- खेल
- गोस्वामी तुलसीदास
- घटना
- जनम दिन
- जयराम शुक्ल जी
- तीजा
- दीपावली
- दोहा
- नवरात्रि
- परसुराम
- फागुन
- बघेली कविता
- बघेली कुण्डलिया
- बघेली गीत
- बघेली छंद
- बघेली दोहा
- बघेली बाल गीत
- बघेली मुक्तक
- भेड़ा
- मतदान
- मुक्तक
- मुक्तक बघेली
- लक्ष्मण सिंह परिहार लगरगवाँ
- लोकरत्न कक्का
- शम्भू काकू
- स्वागत
- हरछठ
- B.J.P.
- bagheli
- bagheli ghajal
- BAGHELI KAVI HEMRAJ HANS BHEDA
- bagheli kavita
- bagheli muktak
- CHITRKOOT KAVI SAMMELAN 14.08.2024
- GANESH PUJAN
- MAIHAR DHAM
- MAIHAR STATE
- sahitya
- SAMMAN PATRA
- SHLOK
शुक्रवार, 23 सितंबर 2022
युग नायक
युग नायक होते नहीं, किसी जाति में कैद।
वे बीमार समाज के , हैं शुभ चिंतक बैद। ।
शासक जब करने लगे शोषण अत्याचार।
ईश्वर को लेना पड़ा परशुराम अवतार।।
उनखर भाखा सखार
उनखर भाखा सखार अस जना थी।
कऊनव करतूती तोखर अस जाना थी। ।
जब से हबा मा माहुर घोरिस ही राजनीती।
तब से भाई चारा का बोखार अस जाना थी। ।
हेमराज हंस भेड़ा
गुरुवार, 22 सितंबर 2022
बुधवार, 21 सितंबर 2022
चीता आबा देस मा
चीता आबा देस मा सीगट भा नाराज। कहिस कि अब कइसा बनब जंगल का महराज। ।
सीगट कै ही चाहना रहै जंगली शान। बन का राजा जब रहै सीगट लोखरी श्वान। ।
जंगल मा साहुत बनी ,सीगट लोखरी केर।
देख देख बिदुरा थै ,बन का राजा शेर।।
गुरुवार, 15 सितंबर 2022
bagheli kavita
आयुष्मान का कार्ड धरा है हमरे खीसा मा।
पै दबाई से जादा भरोसा हनुमान चालीसा मा।।
अस्पताल क हाल न पूछा वहै बेजार ही आज।
न बिस्तर न दबा डाकदर कइसा होय इलाज। ।
महतारी लै रकत कै थइली निगडउरे गभुआर।
अमरित परब आजादी मा देखा फोटो सरकार।
दरी से पूंछा थें।
कुर्सी के सबाल उइ दरी से पूंछा थें।
गरु गंभीर बात मसखरी से पूंछा थें। ।
तेल कोल्हू पी गा कि पहार मा चुपरा गा
उइ पशु आहार के खरी से पूंछा थें। ।
मंगलवार, 13 सितंबर 2022
बाउर पइदा होंय
उइ चाहा थें देस मा बाउर पइदा होंय।
औ हमरे नेरे जनाउर पइदा होंय।।
एक बूंद पानी न बरखै खेत मा
अउ धान नहीं सीधे चाउर पइदा होय। ।
साहित्त फुर कहा थै
साहित्त फुर कहा थै लबरी नही कहै।
अपना के सत्ता अस जबरी नही कहै। ।
साहित्त के नस मा दुष्यंत केर मस है ,
साहित्त खउटही का कबरी नहीं कहै। ।
''राम'' के दरबार तक वाखर धाक ही ,
पै कबहू अपने मुंह से ''शबरी''नही कहै। ।
उई घायल से पूंछा थें कि कइसा लगा थै
अस्पताल पहुचामै का खबरी नहीं कहै। ।
रूपियन के निता कबहू कविता नही लिखै
हंस काही कोउ दुइ नम्बरी नहीं कहै। ।
हेमराज हंस --9575287490
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
-
बघेली कविता हम सरबरिया बांम्हन आह्यन मिलब सांझ के हउली मां। मरजादा औ धरम क ब्वारब, नदिया नरबा बउली मां॥ होन मेल जोल भाईचारा कै, ...
-
जबसे मूड़े मा कउआ बइठ है। असगुन का लये बउआ बइठ है।। पी यम अबास कै किस्त मिली ही वा खीसा मा डारे पउआ बइठ है।। होइगै येतू मंहग ...