योजना के तलबा म घूँस का उबटन लगाये , भ्रष्टाचार पानी म नहाये रहा नेता जी। चमचागीरी के टठिया म बेईमानी का व्यंजन धरे मानउता का मूरी अस खाये रहा नेता जी।। गरीबन के खून काही पानी अस बहाये रहा टेंटुआ लोकतंत्र का दबाये रहा नेता जी। को जानी भभिस्स माही मौका पउत्या है कि धोखा लूट लूट बखरी बनाये रहा नेता जी। । हेमराज हंस ======
उइ कहा थें देस से गरीबी हम भगाय देब गरीबी य देस कै लोगाई आय नेता जी। गरीबी भगाय के का खुदै तू पेटागन मरिहा वा तोहई पालै निता बाप माई आय नेता जी। । गरीबी के पेड़ का मँहगाई से तुम सींचे रहा तोहरे निता कल्प वृक्ष नाइ आय नेता जी। भाषन के कवीर से अस्वासन के अवीर से वा तोहरे बोलिआय का भउजाई आय नेता जी । । हेमराज हंस