गुरुवार, 13 जून 2024

हम आहेंन वहै करी थे किरिआ।।


 कहूं गिर गै चिन्हारी  नहात बिरिआ। 

हम  आहेंन   वहै करी  थे  किरिआ।।

 

बिसरि  गयन  अपना   वा  प्रेम  का। 

जइसन      बिस्वा  मित्र -   मेनका ।।

हमीं   आजव  लगी  अपना  पिरिया।  

 हम  आहेंन   वहै करी  थे  किरिआ।।


पहिले    सोची   अपना   मन   मा। 

मृग    मारय    आयन  तै  बन  मा।।

पानी   पिअंय   गयन   तै   झिरिआ।

हम  आहेंन   वहै करी  थे  किरिआ।।


अपना   भयन   तै   हमसे    मोहित। 

साक्षी   हैं    रिषि    कण्व   पुरोहित।। 

जब डारि  के जयमाला बन्यन तिरिया।

हम  आहेंन   वहै   करी  थे  किरिआ।। 

 

सुन    के   सकुन्तला    कै     बतिया। 

धड़कय लाग   दुस्यंत   कै   छतिया।।

तबै  नैनन  से ढुरकय लगी   गुरिया।

हम  आहेंन   वहै   करी  थे  किरिआ।।  

हेमराज हंस 

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