गुरुवार, 30 मई 2024

छठ सातैं की भमरी देखा

  छठ सातैं  की भमरी देखा।

तोहसे  या  न थम्हरी देखा।। 

 

एक  बाल्टी  पानी  खातिर 

उचत  भरे कै जमरी देखा।। 


सउंज  उतार रही तुलसी कै 

या   गंधइली   ममरी   देखा। ।


पसगइयत  मा  परगा पादन

चिलकत चरमुठ चमरी देखा।। 


कांखय लगिहा चुनुन दार मा 

कामड़ेरा  औ  कमरी  देखा।।


हंस अबरदा जब तक वाखर 

रोये   गीध   के  ना  मरी देखा।। 

हेमराज हंस 

--------------------------------

ममरी= तुलसी जैसे दिखने बाली झाड़ी    

पसगइयत=आसपास

 परगा पादन= तिकड़मी  दंदी फन्दी  

 चिलकत=चमकती हुई 

चरमुट= स्वस्थ्य एवं शक्तिवान, शरीर हृष्ट  पुष्ट, 

चुनुन दार = शीघ्र 

अबरदा= आयु 

सोमवार, 27 मई 2024

होइगै सड़क जब तात राम दै ।

 होइगै  सड़क जब तात राम दै । 

जराथें    तरबा    लात   राम दै।। 

 

को   को   ओखे   ऊपर  हींठा 

वा   नहि  पूंछय   जात  राम दै।। 

 

रिन काढ़त  मा  खूब सराहिन 

देत मा टूट गा  भात राम दै। ।  

 

खूब किहिन सोहबत अटकी मा 

अब नहि  पूंछय  बात राम दै । ।  

   

चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का 

जब  कोउ आमय नात राम दै। ।

    

 सचेत रहा  हितुअन से हंस

जे बइठाथें दिन रात राम दै । ।

हेमराज हंस 

शनिवार, 25 मई 2024

जे दसा सुधारय गे रहे, गरीब सुदामा कै।

जे दसा  सुधारय  गे रहे,  गरीब  सुदामा कै। 

उइ तार दइ के आय गें कुरथा पइयामा कै।।

 

अनभल तुकिन ता आपरूभ नस्ट होइगे उइ    

घर  घर मा  पूजा  होथी  बसामान  मामा कै।। 


उइ   कहा  थे  दोस्ती  का   हाथ  बढ़ा  ल्या 

करतूति  नहीं  बिसरय हमीं  पुलबामा  कै।।

 

धइ धइ के ओहटी टोर भांज कइ रहें हें जे 

बांच  बांच  कबिता  इकबाल अल्लामा कै। । 


सीला सपोटी खुब किहिन इतिहासकार हंस

खोजाबर कै पोलपट्टी  खुलगै कारनामा कै।। 

हेमराज हंस    

बुधवार, 22 मई 2024

उइ तखरी मा गूलर का तउल रहे हें।।

 साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें। 
उइ तखरी  मा गूलर  का  तउल रहे हें।। 

 कान  बहय लागी जो  सुन ल्या हा फुर 
हेन  जात  बाले  जातै  का  पउल रहे हें।। 

आपुस  मां  कइसा माहुर घोराथी इरखा 
भुक्त भोगी आपन  "हरदउल"  रहे  हें।। 

प्रथ्बी औ जयचन्द  कै मुखागर  ही  किसा 
सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।
 
कल्हव रहें  देस मा उइ आजव हेमैं  'हंस' 
जे बिषइले  उरा बाले डील  डउल रहे हें।।
हेमराज हंस 

साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें।

 साहुत बनामय खातिर जे कउल रहे हें। 

उइ तखरी  मा गूलर  का  तउल रहे हें।। 


 कान  बहय लागी जो  सुन ल्या हा फुर 

हेन  जात  बाले  जातै  का  पउल रहे हें।। 


आपुस  मां  कइसा माहुर घोराथी इरखा 

भुक्त भोगी आपन  "हरदउल"  रहे  हें।। 


प्रथ्बी औ जयचन्द  कै मुखागर  ही  किसा 

सुन सुन के भारतिन के खून खउल रहे हें।।

 

कल्हव रहें  देस मा उइ आजव हेमैं  'हंस' 

जे बिषइले  उरा बाले डील  डउल रहे हें।।

हेमराज हंस 

मंगलवार, 21 मई 2024

उइं बड़े 'धरमराज ' हें जुआ खेला थें।

 उइं  बड़े   'धरमराज ' हें जुआ  खेला थें। 

परयाबा के खोधइला म सुआ खेला थें।। 


दुआर  से  कहि  द्या  कि  सचेत  रहैं 

आज काल्ह केमरा से घुआ खेला थें।। 


अपना उनखे साहुत से  सेंतै डेरइत थे 

रंगे  सिआर आहीं  हुआ हुआ खेला थें।।


अगस्त का देखि के समुद्र भयभीत है

पपड़िआन  नरबा नाइ दुआ खेला थें।।


परीबा का पूजय कै तयारी  ही हंस 

आग मा प्रहलाद औ फुआ खेला थें।। 

हेमराज हंस 

राजमार्ग मा चल रहें ,

 राजमार्ग   मा  चल  रहें ,  बड़े  बेढंगे   यान। 

चालक काही है नहीं, अपर डिपर का ज्ञान।। 

हेमराज हंस  

सोमवार, 20 मई 2024

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

 खाता बचा है करंसी चली गै।

मछरी के लोभ मा बंसी चली गै।।

जब से मरे हें जेपी औ लोहिया देस मा

तब से बिपक्ष कै बड़मंसी चली गै।।

*लोकगीत *

  दार महँगी  है  खा ल्या सजन  सुसका। दार महँगी  ।   

भाव   सुनत  मा लागय गरे   ठुसका।। दार महँगी  ।। 

  

किधनव  बनाउब  पानी  पातर। 

एक दुइ दिन का दइ के आंतर।। 

लड़िकन के मुंह दइ के मुसका। दार   महँगी । 

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

   

गुजर करब खा लपटा मीजा।

दार  बनी  जब अइहैं  जीजा।। 

करंय का मजूरी कहूं खसका। ।  दार महँगी।    

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।


कइसा  चलय  अटाला  घर का। 

अइसा   पाली  पोसी  लरिका  ।।

जइसा सीता मइया लउकुस का।   दार  महँगी।

दार महँगी है खा ल्या बलम सुसका। दार महँगी ।।

✍️हेमराज हंस भेड़ा मैहर 

चाहे कोऊ कवि लिखय, चह शायर श्रीमान

 चाहे  कोऊ  कवि  लिखय,  चह  शायर  श्रीमान। 

सब्द सक्ति जब तक नहीं, तब तक नही  प्रमान।।