होइगै सड़क जब तात राम दै ।
जराथें तरबा लात राम दै।।
को को ओखे ऊपर हींठा
वा नहि पूंछय जात राम दै।।
रिन काढ़त मा खूब सराहिन
देत मा टूट गा भात राम दै। ।
खूब किहिन सोहबत अटकी मा
अब नहि पूंछय बात राम दै । ।
चढ़य मूँड़ घर मा मालकिन का
जब कोउ आमय नात राम दै। ।
सचेत रहा हितुअन से हंस
जे बइठाथें दिन रात राम दै । ।
हेमराज हंस