बुधवार, 24 अप्रैल 2024

सुमरी कै सउंज देखा गइया उतारैं लाग।

 सुमरी कै सउंज देखा गइया उतारैं लाग। 

सरबार  केर  पानी  दइया  उतारैं  लाग।। 


मोरे रामपुर का खुरचन रसगुल्ला ताला के 

मिठास  कै बरबरी  लइया उतारैं  लाग। । 


सथरी  मा  सोये हें  जे  कथरी  का ओड़ के 

वा सुक्ख केर  सउंज रजइया उतारैं लाग।। 

 

जेसे सिखिस ही टिमटिमाब लइके अँजोरिय 

वा सुरिज  केर सउंज  तरइया उतारैं लाग।। 

 

 माटी  कै  महक  हंस  हिबै  लोक  गीत  मा

बम्बइया केर सउंज गबइया  उतारैं लाग।। 

हेमराज हंस 

मंगलवार, 23 अप्रैल 2024

बसंत केर सब दिना सत्ता नहीं रहै।।

 सब  दिनहुं  पेड़ माही  पत्ता  नहीं  रहै। 

बसंत  केर  सब  दिना  सत्ता नहीं रहै।। 

 

कोउ दिन मा चार बेर ओन्हा बदला थै 

काहू   के  देह  माही   लत्ता  नहीं  रहै। । 

 

तास   के  खेलइया   हारा  थें   जीता थें

हर चाली  माही  टम्प का पत्ता नहीं रहै। । 

 

चेरउरी  कइ  के आपन सम्मान  करामैं

सब  कोउ  उनखे नाई  ललत्ता नहीं रहै। ।


महिपर का स्वाद हंस  का भरपूर मिला पै 

 वा  पेंड़ के डेगाल   मा  छत्ता   नहीं   रहै।। 

हेमराज हंस 

उंइ मंत्र पिण्डदान से हूम तक का जाना थें।।

 दानी ता दानी उई सूम तक का जाना थें।
बड़े अंतरजामी हें बाथरूम तक का जाना थें।।
उनसे खुई कइ के 'शुंग कण्व' न बनाबा
उंइ मंत्र पिण्डदान से हूम तक का जाना थें।।

तुमने गरीबी देखी है भोगी नहीं है।

 तुमने गरीबी देखी है भोगी नहीं है।

तू एसी का डिब्बा है जनरल बोगी नही है।।
खूब सहानुभूति के अख्यान दे मगर
तू किसी गरीब का सहयोगी नहीं है।।

तब धरती बन के गऊ

 बढ़य लाग जब धरा मा, अधरम अत्याचार।

तब धरती बन के गऊ, प्रभु कै करिस पुकार।।
हेमराज हंस

रविवार, 21 अप्रैल 2024

जाति बाद के मथरे परंगत नहीं परै।

 जाति   बाद  के  मथरे   परंगत  नहीं  परै। 

राबन  के  बहकाये   मा  अंगद  नहीं परै।। 

चाह   जउन   जात   के  होंय   नेता    जी  

पै गरीबन  के साथ उनखर  पंगत नहीं परै।।

हेमराज हंस 

शनिवार, 20 अप्रैल 2024

केबल हबै चुनाव तक, जातिबाद का ढोंग

 केबल  हबै  चुनाव तक, जातिबाद का ढोंग। 

जनता ही उनखे निता , चेचर अउर चिपोंग।।  

अपने   छाती   हाथ  धर,  खुदै   करा  महसूस। 

को ठीहा मा बइठ के, लिहिस न जात से  घूंस।। 

हेमराज हंस

सूरज नेता बिस्व का, सबका दे उजिआर।

 सूरज नेता बिस्व का, सबका दे उजिआर।

पै उल्लू  गरिआ रहें, उनही  रात  पिआर।।  

हेमराज हंस 


बनाथै नाती पवार हाउस ।।

 हाथे माही पकडे माउस। 

पूरी दुनिया हमी देखाउस।।  

मरिगा बाबा अंधियारे मा 

बनाथै नाती पवार हाउस ।।  

हेमराज हंस 

राहू से केतू कहिन, हम पंचे सब एक।

राहू  से   केतू   कहिन,  हम  पंचे   सब      एक। 
चला चली मिल के कारी, खुद आपन अभिषेक।। 
हेमराज हंस