अपना के अपमान का घूंट बचा है।।
धूर धुँआ धुंध से गाँव खाँसा थें
मन के परदूसन का मूंठ बचा है। ।
रीमा सीधी सतना सहडोल कोल डारिन
अब फलाने कहाथें चित्रकूट बचा है।।
भुंइ का करेजा तक बेंच खा लिहिन ता
धरती के गहिर घाव चारिव खूंट बचा है।।
परियाबरन जिन्दा है हजूर के बइठक मा
बन बासी जीव केर जटा जूट बचा है।।
साम्हर सेर हिरन ता सरकस मा चलेगें
हंस नदी तीर रोबत ऊंट बचा है। ।
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शुक्रवार, 27 जनवरी 2023
आबा बसन्त स्वागत है
आबा बसन्त स्वागत है पै ठूंठ बचा है।
मंगलवार, 24 जनवरी 2023
देस के कूकुर तक सबा सेर होइगें।
देस के कूकुर तक सबा सेर होइगें।
जमाल घोटा तक हर्र बहेर होइगें । ।
उनखर हिआव औ उसासी ता देखा
गरीब खिआय गा धन्नासेठ कुबेर होइगें। ।
शुक्रवार, 20 जनवरी 2023
बेसरमी कहां से आय गै
पूस माघ के ठाही मा गरमी कहां से आय गै।
कड़क मिजाजी मा नरमी कहां से आय गै।।
कमल के तलबा मा बेशरम के फूल,
सभ्भ घराना मा बेसरमी कहां से आय गै।।
**हेमराज हंस भेड़ा मइहर***
कोनइता हेरा थें
कोउ दहिना कोउ बइता हेरा थें।
चचरी मचामै का रइता हेरा थें। ।
उनखर सोच बड़ी प्रगत शील ही
धानमिल के जुग मा कोनइता हेरा थें। ।
मंगलवार, 17 जनवरी 2023
उइ न हेरे मिलब कउनौ़ किताप मा
राजनीत चढाथी जब जब पाप मा।
तब नेतागीरी सेराथी सिताप मा।।
तुलसी के मानस कै सदा होई आरती
पै उइ न हेरे मिलिहैं कउनौ़ किताप मा।
तसल्ली नहीं मिली
तसला ता मिला खूब तसल्ली नहीं मिली।
हमरे खिआन पनही का तल्ली नहीं मिली।।
कउड़ा ताप ताप के गुजारी रात हम
जाड़े मा कबौं ओड़य का पल्ली नहीं मिली। ।
रक्छा के इंतजाम केर दाबा बहुत हें
घर से जो निकरी बपुरी ता लल्ली नहीं मिली। ।
वा नामी धन्ना सेठ है धरमात्मा बहुत
पै दुआरे मा गरीब का रुपल्ली नहीं मिली।।
रिकॉड मा गुदाम लबालब्ब भरी हय हंस
जब जांच भै त एकठे छल्ली नहीं मिली।।
शुक्रवार, 13 जनवरी 2023
बुधवार, 11 जनवरी 2023
BAGHELI KAVITA लगत्या आजु पिआर
बड़ा अमारक जाड़ है, ठठुराबय दहिजार।
साजन से सजनी कहिस, लगत्या आजु पिआर।
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आरव मिला चुनाव का, जुरय लाग सहदेब ।
राजनीत ख्यालैं लगी, मेर मेर फउरेब। ।
मंगलवार, 3 जनवरी 2023
जबसे उनखे पइरा मा कुतिया बिआन ही
जबसे उनखे पइरा मा कुतिया बिआन ही।
तब से सगली ब्यबस्था बिल्लिआन ही।।
जब से सुनिन ही डी. एन. ए. कै जाँच का
तब से उनखे जिव का बड़ी गिल्लिआन ही।।
य न पूँछा को कउन दल मा हें।
य न पूँछा को कउन दल मा हें।
सब अपने समिस्या के हल मा हें।।
जनता ता ओहिन का नेता माना थी
सुख दुःख मा जे ओखे बगल मा हें।।
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राम जू कै सजी हिबै राजधानी। मारै हिलोर सरजू का पानी। । छूटि गा इतिहासन का करखा। या सुभ सुदिन का तरसिगें पुरखा। । राम जी के...