देस मा चारिव कइती दहचाल है।
फुर फुर बताबा का अपना का मलाल है।।
दिल्ली अपने मन कै बात बाँचा थी
कबहूँ नहीं पूछिस कि देसका का हाल है। ।
सरकारी दफ्तर मा घूंस बिना काम नहीं
हर कुरसी पाले एकठे दलाल है। ।
हमरे संस्कार का येतू पतन भा
वा बहिनी बिटियन का कहाथै मस्त माल है। ।